मेघालय खनन हादसा: सुप्रीम कोर्ट ने कहा जल्द निकाला जाए पानी


Instal high powered pumps immediately to de-water illegal mine in Meghalaya, says SC

 

सुप्रीम कोर्ट मेघालय की अवैध खदान में फंसे कामगारों को लेकर सख्त हुआ है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि उच्च शक्ति वाले पंप लगाकर जल्द से जल्द खदान से पानी बाहर निकाला जाए. कोर्ट ने कहा है कि पंपों को विमान से घटना स्थल तक ले जाया जाए.

मेघालय की इस अवैध खदान में दो महीने से अधिक समय से 15 कामगार फंसे हुए हैं, लेकिन अब तक उन्हें खदान से बाहर नहीं निकाला जा सका है.

जस्टिस एके सीकरी और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने इस खदान के मालिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में पूछा गया है कि इन खनिकों के परिजनों को मुआवजा देने पर विचार क्यों ना किया जाए. क्योंकि पहली नजर में दुर्घटना के लिए जिम्मेदारी और दायित्व खदान के मालिक की ही है.

यह अवैध कोयला खदान मेघालय के पूर्वी जैन्तिया हिल्स के कसान क्षेत्र में करीब 3.7 किमी जंगल के भीतर है. तीन नदियों को पार करने के बाद ही वहां तक पहुंचा जा सकता है. इस खदान में पिछले साल 13 दिसंबर को पानी भर जाने से 15 खनिक इसमें फंस गए थे.

पीठ ने कहा कि यह स्वीकार्य तथ्य है कि गैरकानूनी रूप से खनन हो रहा था. जिसकी वजह से अनेक लोग अपनी जान गंवा बैठे. पीठ ने मेघालय सरकार से कहा कि वह इस खदान के मालिक जे चुल्लेट को नोटिस की तामील करे.

सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि खदान से पानी बाहर निकालने के काम में 100 हार्सपावर क्षमता के पंप लगाने से कोई लाभ नहीं होगा.

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आठ फरवरी को सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को आश्वासन दिया था कि किर्लोस्कर के उच्चशक्ति वाले पंप लगाकर खदान से पानी निकाला जाएगा. लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है.

मेहता ने अपनी दलील में कहा कि आठ से 16 फरवरी के दौरान इस खदान से 11 करोड़ लीटर पानी निकाला गया है, लेकिन पास की नदी से फिर इसमें पानी भर जाता है. उन्होंने कहा कि इस अभियान में पानी के भीतर चलने वाले वाहन का उपयोग किया गया है. इस तरह अभी तक सिर्फ तीन शव ही पता लगाए जा सके हैं.

पीठ ने इस मामले में एक अन्य याचिका को 12 मार्च के लिये सूचीबद्ध कर दिया है.


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