मप्र डायरी: बजट में मध्य प्रदेश का हिस्सा घटा, राजनीति बढ़ी
केंद्रीय बजट के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति बयानों से गरमा गई. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय करों में राज्यों के हिस्से में भारी कटौती कर दी. चालू वित्तीय वर्ष में इन करों में मध्य प्रदेश को 14 हजार 233 करोड़ रुपए कम मिलेंगे. इसके अलावा अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय करों का हिस्सा एक फीसदी कम कर दिया गया है. अभी तक यह 42 फीसदी था, जो अगले वित्तीय वर्ष के लिए 41 फीसदी होगा.
प्रदेश के हितों के साथ यह कुठाराघात है. पिछले बजट में ही केंद्र सरकार ने 2,677 करोड़ रुपए कम कर दिए थे. यह राशि कम मिलने पर कांग्रेस और विपक्षी दल बीजेपी में खूब बयानों के तीर चले थे. अब भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के ट्वीट के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने पलटवार कर कहा कि अगर आप यह कहते है कि बजट हवाई है तो फिर आप यह घोषणा कर दे कि बजट की जो राशि राज्य के लिए मिलती है उस राशि को आपकी सरकार नहीं लेगी. जब मध्यप्रदेश का बजट आए तब केंद्र से जो राशि मिलती है उसका प्रावधान करते हैं. कमलनाथ उस राशि का प्रावधान ही न करें.
मध्य प्रदेश की चिंता वित्तमंत्री तरुण भनोट की प्रतिक्रिया में भी दिखाई दी. वित्तमंत्री भनोट ने कहा कि केंद्रीय बजट में राज्य सरकारों के साथ विश्वासघात किया गया है. इस निराशा का कारण भी है. मध्य प्रदेश के वित्त अफसरों ने नवंबर-दिसंबर तक के टैक्स कलेक्शन के आधार पर अनुमान लगाया था कि चालू वित्तीय वर्ष के आखिर के दो महीनों में पैसा कम मिलेगा. केंद्रीय करों के हिस्से में 9,000 करोड़ तक की कटौती हो सकती है. पर, रिवाइज एस्टीमेट में यह ढ़ाई हजार करोड़ रुपए और बढ़ गई जो 22.3 फीसदी है.
इस कटौती का सीधा असर राज्य में चल रहीं राजस्व योजनाओं पर पड़ना तय है. राज्य के हिस्से में हुई राजस्व कटौती से खासतौर पर किसानों की कर्जमाफी प्रभावित होना तय माना जा रहा है क्योंकि राज्य सरकार ने इसका दूसरा चरण प्रारंभ कर दिया है. इस चरण में 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए तक कर्ज माफ होना है. इसमें करीब 4,500 करोड़ रुपए की जरूरत है. इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत, पोषण आहार कार्यक्रम और आंगनबाड़ी सेवाओं आदि में राज्यांश देने के लिए मध्य प्रदेश को नए विकल्प देखने होंगे. विशेषज्ञों के अनुसार नई कर प्रणाली में राज्य सरकारों का बजट केन्द्रीय अंश पर ही निर्भर होता है. केन्द्र से हक की राशि भी नहीं मिलने से राज्यों का आर्थिक गणित गड़बड़ाना तय है. राशि दे कर केन्द्र सरकार राज्यों को कोई राजनीतिक लाभ नहीं दे रही बल्कि यह तो उनका हक है जो संवैधानिक रूप से मिलना चाहिए.
भक्ति भाव के राजनीतिक निहितार्थ
मध्य प्रदेश में कांग्रेस का एक पक्ष बीजेपी को उसके ही राजनीतिक तौर तरीकों से शिकस्त देने का पक्षधर रहा है. इसी कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस ‘सॉफ्ट हिन्दुत्व’ दृष्टिकोण पर लगातार काम कर रही है. श्रीलंका में सीता मंदिर निर्माण का निर्णय लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने निजी व्यय पर सवा करोड़ हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन किया.
कमलनाथ ने अस्सी के दशक में अपने संसदीय और अब विधानसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा में 101 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा की स्थापना करवाई थी. नाथ ने गांधी पुण्यतिथि के मौके पर हनुमान चालीसा का सवा करोड़ बार जाप का आयोजन करने के बाद उसके दूसरे दिन अनूपपुर जिले के अमरकंटक में नर्मदा महोत्सव में शिरकत कर धर्मप्रेमी छवि प्रस्तुत की. उन्हें इसका लाभ भी तुरंत मिला जब राज्यपाल लालजी टंडन ने राज्य सरकार द्वारा सनातन संस्कृति पर काम प्रारम्भ करने की तारीफ करते हुए कहा कि इस दिशा में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जिस तरह काम प्रारंभ किया है उसकी प्रशंसा की जाना चाहिए.
कमलनाथ और उनकी सरकार के इस ‘भक्तिभाव’ से बीजेपी का बिगड़ना तय था. हुआ भी यही. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को यह बात नागवार गुजरी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के ये नेता एक तरफ अल्पसंख्यकों को भड़काते हैं तो दूसरी तरफ हनुमान चालीसा जैसे आयोजनों से बहुसंख्यक लोगों को साधने की कोशिश करते हैं. कमलनाथ ने पलटवार करते हुए राकेश सिंह के बारे में कहा कि उनका मुंह पहले चलता है और दिमाग बाद में चलता है. हम मंदिर जाते हैं, धार्मिक आस्थाओं पर बात करते हैं तो बीजेपी नेताओं के पेट में दर्द क्यों होता है, क्या उन्होंने धर्म की एजेंसी ले रखी है या ठेकेदार हो गए हैं. हम धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ते जबकि वे धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं. राकेश सिंह ने प्रत्युत्तर देते हुए कहा कि मैं आभारी हूं आपका, आपने माना कि पहले मेरी जुबान चलती है और बाद में मेरा मस्तिष्क चलता है, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि प्रदेश की जनता कह रही है कि कमलनाथजी आपकी केवल जुबान चलती है, अगर दिमाग चलता तो कर्जमाफी व बेरोजगारी भत्ता देने का झूठ नहीं बोलते.
शिवराज की ‘भक्ति’ के भी खोजे जा रहे अर्थ
एकतरफ जहां, मुख्यमंत्री नाथ की भक्ति की चर्चा रही वहीं दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अपने शीर्ष नेताओं के प्रति भक्तिभाव एक बार फिर चर्चा में आ गया. चौहान ने दिल्ली में मटियाला निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार के लिए प्रचार करते हुए कहा कि ‘दुनिया में कोई भी ताकत नागरिकता संशोधन कानून को लागू होने से रोक नहीं सकती. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं जो किसी से डरते नहीं है. वह शेर हैं. अगर नरेंद्र मोदी भगवान राम हैं तो अमित शाह हनुमान हैं.’
इसके पहले भी चौहान मोदी और शाह को देवतुल्य बताते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर चुके हैं. चौहान का यह बयान केवल दिल्ली चुनाव या सीएएस राजनीति तक ही सीमित नहीं है. मध्य प्रदेश बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष चुना जाना है. मध्य प्रदेश में अपने दबदबे को बनाए रखने के लिए चौहान चाहते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी पसंद का बने. केंद्रीय नेतृत्व के प्रति उनका यह दृष्टिकोण समन्वय की राजनीति का ही एक हिस्सा माना जा रहा है.