जम्मू कश्मीर: अनुच्छेद 35A को लेकर बयानबाजी तेज
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 35A पर 26 से 28 फरवरी तक सम्भावित सुनवाई की खबरों के बीच नेताओं ने इसको लेकर बयानबाजी तेज कर दी है. उमर अब्दुल्ला के बाद अब महबूबा मुफ्ती ने भी इसको लेकर चेतावनी दी है.
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा है, “आग से मत खेलो, अनुच्छेद-35A से छेड़छाड़ मत करो वरना 1947 से अब तक जो आपने नहीं देखा, वह देखोगे. यदि ऐसा होता है तो मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर के लोग तिरंगा उठाने की बजाए कौन सा झंडा उठाएंगे.”
इससे पहले अनुच्छेद 35A को खत्म किए जाने की अटकलों को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला का बयान भी सामने आया था. उन्होंने कहा था कि अगर केंद्र सरकार अनुच्छेद 35 A को खत्म करती है तो घाटी में अरुणाचल प्रदेश से भी खराब हालात हो जाएंगे.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि इस समय केंद्र सरकार और राज्यपाल की जिम्मेदारी केवल प्रदेश में चुनाव करवाने भर की ही है. इसलिए वो चुनाव ही कराएं और लोगों को फैसला लेने दें. चुनाव के बाद जनता द्वारा चुनी गई नई सरकार खुद ही अनुच्छेद 35A को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम करेगी.
कई नेता और राजनीतिक दल भी जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में बदलाव का हवाला देते हुए अनुच्छेद 35A को खत्म करने के खिलाफ हैं.
क्या है अनुच्छेद 35A
अनुच्छेद 35A एक संवैधानिक प्रावधान है, जो जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है. अनुच्छेद 35A के तहत राज्य के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार मिले होते हैं.
जम्मू-कश्मीर में वहां के मूल निवासियों के अलावा देश के किसी दूसरे हिस्से का नागरिक कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता है. इससे वह वहां का स्थाई निवासी भी नहीं बन सकता. इसके अलावा यह अधिकार चुनाव में मतदान के अधिकार से लेकर नौकरियों और सरकारी याजनाओं के फायदें से भी जुड़े है. राज्य में 14 मई 1954 को इसे लागू किया गया था. यह अनुच्छेद संविधान में मूल रूप में नहीं था.