45 साल में रिकॉर्ड बेरोज़गारी की NSSO रिपोर्ट सरकार ने मानी


India's February unemployment rate highest in last four months

 

सरकार ने माना है कि उसने राष्ट्रीय सांख्यिकी परिषद् (एनएससी) ने NSSO की ओर से जारी की गई जॉब डाटा को मान लिया है. इससे पहले बेरोज़गारी को 45 साल में सर्वाधिक बताए जाने पर सरकार ने NSSO के डाटा को खारिज करते हुए कहा था कि ये केवल ड्राफ्ट है. अंतिम रिपोर्ट नहीं.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने NSSO की रिपोर्ट को अपूर्ण बताते हुए कहा था कि इसके डाटा का न तो सत्यापन हुआ है और न ही कैबिनेट से मंज़ूरी मिली है. विशेषज्ञों ने उनके इस बयान का खंडन करते हुए कहा था कि NSC से सहमति के बाद कैबिनेट से मंज़ूरी का कोई प्रावधान नहीं है.

लोक सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में श्रम और रोज़गार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि एनएसएसओ  ने 2017 में सावधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS ) शुरू किया. जो शहरी क्षेत्रों के लिए तिमाही अनुमानों के साथ रोजगार और बेरोज़गारी पर श्रम बल से जुड़े वार्षिक अनुमान के लिए तैयार किया गया एक नियमित सर्वेक्षण है.

वर्ष 2017-2018 (जुलाई 2017 से जून 2018)  के लिए एनएसएसओ ने सर्वेक्षण पूर्ण कर लिया है. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) को मसौदा रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है. आयोग ने इस सर्वेक्षण को सहमति भी दे दिया है.

बेरोज़गारी को लेकर चौतरफा कड़ी आलोचना झेल रही सरकार ने अब तक NSSO के 2017 -18 के PLFS  डाटा को जारी नहीं किया है. रिपोर्ट रोकने के विरोध में NSC के दो सदस्य जे वी मीनाक्षी और कार्यवाहक अध्यक्ष पी सी मोहनन ने इस्तीफ़ा दे दिया था.

बिज़नेस स्टैण्डर्ड के मुताबिक बेरोज़गारी दर 6. 1 % पहुँच गई है जो कि 45 साल में सबसे अधिक है.

इससे पहले मोदी सरकार ने लेबर ब्यूरो की ओर से किए जाने वाले सालाना सर्वे को भी बंद कर दिया था. पिछले 2 साल से इसकी कोई रिपोर्ट नहीं आई है. हाल में  सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकॉनमी ने भी अपनी एक रिपोर्ट में  बताया था कि पिछले साल एक करोड़ 10 लाख नौकरियां ख़त्म हो गई.

लेकिन सरकार ने इस आंकड़े को यह कह कर खारिज कर दिया कि एक निजी संस्था के आंकड़े को विश्वसनीय नहीं माना जा सकता. आलोचकों को जवाब देने के लिए सरकार EPFO  और आयकर विवरण दाखिल करने के आंकड़ों का सहारा ले रही है. लेकिन विशेषज्ञ इसे सही नहीं मानते. उनका कहना है कि EPFO की सदस्यों संख्या और और आयकर विवरणी को रोज़गार का भरोसेमंद पैमाना नहीं माना जा सकता.

हालाँकि श्रम और रोज़गार मंत्री गंगवार ने लोक सभा में  दिए अपने जवाब में यह भी बताया है कि NSSO  इस समय जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 तक के तिमाही आंकड़े संशोधित कर रहा है.

अब नज़र NSSO के नए डाटा पर होगी. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष बिबेक डेबरॉय ने कहा है कि सरकार NSSO का नया सर्वे पेश करेगी जिसमें नौकरियों की संख्या बढ़ी हुई होगी.


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