सेना के अधिकारियों को भत्ता देने के लिए फंड नहीं
स्थानांतरण, ट्रेनिंग या अल्पकालीन ड्यूटी पर जाने वाले अधिकारियों को परिवहन भत्ता देने के लिए रक्षा मंत्रालय के पास फंड नहीं है.
प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट(पीसीडीए) की वेबसाइट के मुताबिक है कि अपर्याप्त फंड होने की वजह से अल्पकालीन या पूर्वकालीन ड्यूटी पर जाने के लिए कोई एडवांस और दावा स्वीकार नहीं किए जाएंगे. फंड नहीं मिलने तक यह रोक जारी रहेगी.
हालांकि चार फरवरी को एक रक्षा अधिकारी की ओर से कहा गया है कि यह कमी थोड़े समय के लिए है और खर्चे को चालू जारी बजट से पूरा किया जाएगा.
सेना के अधिकारियों को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर जाने और विभिन्न ट्रेनिंग कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए परिवहन खर्च 4,000 करोड़ रुपया सालाना है.
कांग्रेस ने सेना की फंड में कटौती को लेकर मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है.
कांग्रेस ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि मोदी सरकार ने पिछले पांच सालों में सेना के प्रति उदासीन रवैया अपनाया हुआ है और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है.
देश में करीब 40,000 सेना के अधिकारी हैं. इनका स्थानांतरण एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के लिए हर दो से तीन साल पर होता रहता है. इसके साथ ही सैन्य प्रशिक्षण के लिए बड़ी संख्या में अधिकारियों को अलग-अलग जगहों पर भेजा जाता है.
अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून में छपी खबर के मुताबिक, फंड की कमी की वजह से सेना के कई प्रोजेक्ट पर काम धीमा पड़ गया है. मिलिटरी इंजीनियरिंग सर्विसेज(एमईएस) पहले ही कह चुका है कि फंड में कमी की वजह से पूरे काम का भुगतान नहीं हो पाया है और कई प्रोजेक्ट पर ‘संशय’ के घेरे हैं. फंड में कमी की बात साल 2018 के अक्टूबर महीने में सामने आई थी.
पूर्वोत्तर के सेना के स्टेशनों को सुरक्षात्मक दीवार से घेरने का काम फंड की कमी की वजह से ठप पड़ गया है.