सरकार पर जल्दबाजी में विधेयक पारित कराने का आरोप
विपक्षी दलों के 17 नेताओं ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर सरकार द्वारा विभिन्न विधेयकों को संसदीय समिति में नहीं भेजकर और उनकी विस्तृत समीक्षा के बिना पारित कराए जाने पर गंभीर चिंता जताई है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा और बसपा सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने नायडू को पत्र लिखकर राज्य सभा में सत्तापक्ष पर जल्दबाजी में विधेयक पारित कराए जाने का आरोप लगाया है. पत्र में कहा गया है कि सरकार विभिन्न महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद की स्थायी और प्रवर समितियों के समक्ष नहीं भेज रही है.
सरकार के इस रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि सरकार संसदीय विवेचना के बिना ही जल्दबाजी में विधेयक पारित करवा रही है.
पत्र पर कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ ब्रायन, सपा के रामगोपाल यादव और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित 17 दलों के नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं.
पत्र में सभापति का ध्यान इस बात की ओर दिलाया गया कि 14वीं लोकसभा में 60 प्रतिशत, 15वीं लोकसभा में 71 प्रतिशत जबकि 16वीं लोकसभा में केवल 26 प्रतिशत विधेयकों को समीक्षा के लिए संसदीय समितियों के पास भेजा गया. इसमें कहा गया कि 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में अभी तक 14 विधेयक पारित किए जा चुके हैं. इनमें से किसी को भी प्रवर या स्थायी समिति को नहीं भेजा गया.
विपक्षी दलों ने सभापति का ध्यान मौजूदा सत्र में केवल दो बार अल्पकालिक चर्चा कराए जाने की ओर भी दिलाया. इसमें कहा गया है कि ‘‘हम अपना दायित्व एवं कानून बनाने की आवश्यकता को समझते हैं. सरकार द्वारा सदस्यों के विशेषाधिकार, नियमों एवं स्थापित परंपराओं को कमतर करने के किसी भी प्रयास से राज्य सभा की वह भूमिका धूमिल होगी जिसकी हमारे संस्थापकों ने परिकल्पना की थी. हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि जिस भावना के तहत यह पत्र लिखा गया है उसे आप स्वीकार करेंगे तथा सदस्यों के अधिकार के संरक्षण के लिये समुचित कदम उठाएंगे.