आम चुनाव से पहले एकजुट होने की कोशिश में विपक्ष
देश में लोक सभा चुनाव को लेकर जैसे-जैसे सरगर्मी तेज हो रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां अपनी चुनावी संभावनाओं को अंतिम रूप देने में जुटती जा रही हैं.
बीती 13 फ़रवरी का दिन इस लिहाज़ से काफ़ी अहम रहा. एक तरफ़ संसद में राफेल मसले पर सीएजी की रिपोर्ट पेश हुई तो दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी एकजुटता दिखाते हुए लोकतंत्र बचाव रैली का आयोजन किया. वहीं, सुबह संसद में बंगाल के बेहरामपुर से कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने टीएमसी की आलोचना कर दी, जिसके बाद ममता बनर्जी काफ़ी नाराज़ हो गईं.
इधर हाल में शरद पवार के मकान पर विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई. इसमें चंद्रबाबू नायडू, अरविंद केजरीवाल, फ़ारुक़ अब्दुल्लाह और ममता बनर्जी शामिल थीं. इस बैठक में आगामी 2019 आम चुनाव के मद्देनज़र एक एजेंडे के तहत काम शुरू करने का फ़ैसला लिया गया.बाद में इस बैठक में राहुल गांधी ने भी शिरकत की.
राहुल गांधी से हुई मुलाक़ात के बाद ममता बनर्जी ने कहा कि सभी नेताओं ने राहुल से नियमित रूप से मिलते रहने को कहा है. इसके अलावा चुनाव पूर्व गठबंधन और एक ही एजेंडे के तहत काम करने को लेकर बातचीत हुई है. ताकि चुनाव के बाद कोई परेशानी न पेश आए.
राहुल ने मुलाक़ात के बाद उल्लेख किया कि दिल्ली और बंगाल में ऐसे मुद्दे थे, जहां पार्टियों की स्थानीय इकाइयां किसी भी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं थीं.
राहुल ने कहा कि हम सभी छोटी-छोटी चीज़ों पर बातचीत शुरू करने के लिए सहमत हुए हैं. ये अभी शुरुआत है. हालांकि, कांग्रेस के सूत्रों ने ये संकेत दिया है कि फ़िलहाल सभी पार्टियां छोटी चीज़ों के बजाय व्यापक एजेंडे पर काम करेंगी. नायडू ने राज्य स्तर की बात करते हुए कहा कि उन समस्याओं पर भी ध्यान देना होगा.
लेकिन, सबसे पहला और अंतिम उद्देश्य बीजेपी को हराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मिलकर काम करना है. केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने देश को बांटने का काम किया है. इसलिए जनता चाहती है कि सभी विपक्षी दल एक साथ आकर बीजेपी को हराएं.
कई जानकारों का मानना है कि किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा. इसलिए विपक्षी पार्टियां आम सहमति बनाने में जुटी हुई हैं.
विपक्ष के विभिन्न दलों ने एक साझा एजेंडा के तहत काम करने का फ़ैसला किया है, ताकि त्रिशंकु स्थिति में सरकार बनाने के लिए उन्हें ही आमंत्रित किया जाए.
कल संसद में बेहरामपुर के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस से अनियमित जमा योजना विधेयक पर लगाए गए प्रतिबंध पर एक चर्चा में हस्तक्षेप किया था. चौधरी तृणमूल सांसदों पर जमकर बरसे, जो मसौदा के कानून के खिलाफ विरोध कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी चिट फंड में आम लोगों के जमा किए धन से चलती है.चौधरी के इस बयान के बाद ममता काफ़ी नाराज़ हो गईं.
उन्होंने सोनिया गांधी को इस सिलसिले में तलब किया. ममता के गर्म तेवर को शांत करने के लिए सोनिया ने उन्हें याद दिलाया कि भले दोनों पार्टियों में मतभेद हों, लेकिन, वे एक बड़ी लड़ाई में एकदूसरे के साथ हैं.
केजरीवाल की विपक्षी एकजुटता रैली में ममता ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और सीपीएम से लड़ेंगे. लेकिन मोदी-शाह को हराने के लिए उनके साथ काम भी करेंगे.
केजरीवाल ने विपक्ष की एकजुटता के लिए ममता की लड़ाई में साथ देने के लिए रैली का आयोजन किया था.आयोजन में ममता ने बोला कि भले ही कांग्रेस के साथ मतभेद हों, लेकिन वो इतनी बड़ी समस्या नहीं है कि हम अपना साथ छोड़ दें.
लोकतंत्र बचाव रैली में ममता के अलावा विपक्ष के कई अन्य नेताओं ने भी शिरकत की. हालांकि, बंगाल की परिस्थिति के मद्देनजर सीपीएम और सीपीआई के नेता ममता के पहुंचने से पहले जा चुके थे. बीएसपी से रैली में कोई नहीं आया था. वहीं एसपी की तरफ़ से राम गोपाल यादव उपस्थित थे.