पायल रोहतगी ने सती प्रथा का महिमामंडन किया, ट्विटर पर हुआ विवाद


payal rohatagi glorified sati practice

 

सती प्रथा को महिमामंडित करने और समाज सुधारक राजा राम मोहन रॉय को देशद्रोही बताने को लेकर अभिनेत्री पायल रोहतगी के ट्वीट पर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर विवाद छिड़ गया है.

अभिनेत्री पायल रोहतगी ने अपने ट्विटर हैंडल से ‘सती प्रथा के पीछे का सच’ शीर्षक से वीडियो ट्वीट किया और राजा राम मोहन रॉय को देशद्रोही बताया. रोहतगी ने वीडियो के कैप्शन में लिखा कि जौहर मुगल खिलजी आक्रमण के समय पद्मावती से जुड़ी एक घटना थी. बाद में राजा राम मोहन रॉय जैसे देशद्रोहियों की मदद से, जिनका प्रयोग अंग्रेजों ने समाज को बांटने के लिए किया, सती प्रथा को एक थोपी गई कुप्रथा बना दिया.

एक ट्वीट जिसमें राजा राम मोहन रॉय को ब्रह्मो समाज का संस्थापक और समाज सुधारक बताया गया, पर प्रतिक्रिया देते हुए पायल रोहतगी ने राजा राम को अंग्रेजों का चमचा और सती प्रथा को बदनाम करने वाला बता दिया.

पायल रोहतगी ने ट्वीट करते हुए कहा कि राजा राम मोहन रॉय अंग्रेजों के चमचे थे, उन्होंने सती प्रथा को बदनाम किया. रोहतगी ने आगे लिखा कि सती प्रथा अनिवार्य नहीं थी, बल्कि मुगल हमलावरों के हाथों हिंदू पत्नियों की वेश्यावृत्ति रोकने के लिए शुरू की गई थी, यह महिलाओं की इच्छा थी. सती प्रथा प्रतिगामी नहीं थी.

पायल रोहतगी के इस ट्वीट को लेकर ट्विटर पर मिली जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. हालांकि, राजा राम मोहन रॉय को देशद्रोही और अंग्रेजों का चमचा कहने को लेकर पायल रोहतगी की तीखी आलोचना हुई है.

एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने पायल रोहतहगी के इतिहास ज्ञान पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया कि नेपाल में कभी भी अंग्रेजों और मुगलों ने आक्रमण नहीं किया, लेकिन 1920 तक वहां सती प्रथा बनी रही. इस तथ्य को लेकर आप क्या कहेंगी? यह एक कुप्रथा थी और मुझे खुशी है कि इसे समाप्त कर दिया गया.

वहीं पायल रोहतगी को अपने इस ट्वीट के लिए समर्थन भी प्राप्त हुआ.

एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने लिखा कि सती होने के लिए औरत पूरी तरह से स्वतंत्र थी, इसे कभी भी थोपा नहीं जाता था.


Big News