जनवादी लेखक संघ ने साहित्य अकादमी में यौन उत्पीड़न का मामला उठाया


People's Writers Association takes up sexual harassment case at Sahitya Academy

 

जनवादी लेखक संघ ने साहित्य अकादमी में यौन उत्पीड़न का मामला उठाया है.

जनवादी लेखक संघ ने बयान जारी कर कहा है कि साहित्य अकादमी में एक महिला अधिकारी को जिन परिस्थितियों में बर्खास्त किया गया है, वह अत्यंत शर्मनाक है.

‘द वायर’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, उक्त महिला अधिकारी ने साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवास राव के विरुद्ध यौन प्रताड़ना और नस्लीय टिप्पणियां करने का आरोप लगाया था, जिनके मातहत यह महिला अधिकारी उपसचिव पद पर कार्यरत थीं.

इस पद पर उनकी नियुक्ति फरवरी 2018 में हुई थी. जब साहित्य अकादमी में सुनवाई नहीं हुई तो उक्त महिला ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की.

हाई कोर्ट ने उक्त महिला अधिकारी को तीन माह के लिए सवेतन अवकाश पर जाने की अनुमति प्रदान की. यह अवकाश 16 मार्च 2020 तक के लिए दिया गया था. लेकिन साहित्य अकादमी ने जांच पूरी होने से पहले ही दो साल की प्रोबेशन अवधि के एक दिन पहले उक्त महिला अधिकारी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया.

जनवादी लेखक संघ ने चिंता जाहिर किया है कि कार्यस्थलों पर महिला कार्मिकों के साथ उत्पीड़न की घटनाएं न सिर्फ बढ़ रही हैं, बल्कि शिकायत करने पर दमन भी उन्हीं का किया जाता है.

इसके साथ ही जनवादी लेखक संघ ने मांग किया है कि उक्त महिला अधिकारी को तत्काल प्रभाव से नौकरी पर बहाल किया जाए, साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव को निलंबित किया जाए और उक्त घटना की जांच उच्च न्यायालय की देखरेख में पूरी हो.


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