संसद में पेश हुई राफेल पर सीएजी की रिपोर्ट, कांग्रेस ने उठाए सवाल


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राज्य सभा में 36 राफेल डील को लेकर हुए सौदे पर सीएजी रिपोर्ट पेश की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजग सरकार के तहत हुआ राफेल सौदा, 2007 में तत्कालीन संप्रग सरकार की तुलना में 2.86 प्रतिशत सस्ता है.

कांग्रेस ने कहा है कि बैंक गारंटी की रकम को जोड़ा नहीं गया है. जो करीब सात फीसदी होता है. बैंक गारंटी छोड़ने का लाभ दसॉल्ट एविएशन को हुआ है. इससे भारत सरकार को फायदा नहीं हुआ है.

रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरिंग संबंधी पैकेज और प्रदर्शन के आधार पर हर तरह के साजो सामान के संदर्भ में यह सौदा हालांकि 6.54 फीसदी महंगा है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला तेज कर दिया है. अंग्रेजी अखबार ‘द हिन्दू’ में छपी रिपोर्ट के हवाले से राहुल गांधी ने कहा कि सौदे का बचाव करने के लिए विमानों की बेहतर कीमत और शीघ्र आपूर्ति की प्रधानमंत्री की दलीलें ‘धराशायी’ हो गई हैं.

‘द हिंदू’ ने एक खबर में दावा किया है कि राफेल सौदा यूपीए के कार्यकाल के मुकाबले ‘बेहतर शर्तों’ पर नहीं हुआ है.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री ने अपने निजी राफेल बाइपास सौदे का दो दलीलों से बचाव किया : पहला बेहतर मूल्य और दूसरा शीघ्र आपूर्ति. ‘द हिंदू’ के आज के खुलासे से दोनों दलीलें धराशायी हो गई है.’’

अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, सात सदस्यीय भारतीय वार्ताकार दल (आईएनटी) में विशेषज्ञ रहे रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारी ‘‘पूरी तरह से पुष्ट और स्पष्ट निष्कर्ष’’ पर पहुंचे कि नरेंद्र मोदी सरकार का पूरी तरह से तैयार 36 विमानों के लिए नया राफेल सौदा यूपीए सरकार की 126 विमानों की खरीद के लिए दसॉल्ट एविएशन द्वारा दी गई पेशकश के मुकाबले ‘बेहतर शर्तों’ पर नहीं था.

कांग्रेस ने अपने ट्वीट में कहा, “यह इतिहास में पहली बार है जब संसद में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट में आंकड़ों को संशोधित करके पेश किया गया है. यह अपने आप में रिपोर्ट पर बड़ा सवालिया निशान है. पूर्ववर्ती और एनडीए सरकार के शासनकाल में हुए सौदे में मूल्यों में की गई तुलना स्पष्ट नहीं है.

कांग्रेस ने अपने ट्वीट में कहा है कि पिछले डील में सात फीसदी अतिरिक्त लागत को नए डील में जोड़ा नहीं गया है. इसलिए 2.85 फीसदी की कथित बचत को बैंक गारंटी के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए.

कांग्रेस के ट्वीट में कहा गया है कि असल में यह बैंक गारंटी छोड़ने का फायदा दसॉल्ट एविएशन को हुआ है. सीएजी की गणना में इसे छोड़ दिया गया है.

कांग्रेस के सांसदों ने कागज के विमानों और पोस्टरों के साथ प्रदर्शन किया. उन्होंने करोड़ों रुपये के लड़ाकू विमान सौदे में घोटाले का आरोप लगाया. ‘चौकीदार चोर है’ जैसे नारे लगाते हुए राहुल गांधी, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस सांसदों ने राफेल सौदे पर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास विरोध प्रदर्शन किया .

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ‘‘चोर पकड़ा गया.’’

सुरजेवाला ने चार बातों का जिक्र किया – 36 राफेल विमानों की कीमतें संप्रग काल की पेशकश के मुकाबले 55 गुना ज्यादा हैं , यूरोफाइटर द्वारा राफेल के लिए दी 25 फीसदी की छूट ना लेने से हुआ नुकसान, बैंक और सरकारी गारंटी की छूट और कीमत में वृद्धि के साथ दस साल तक के लिए कोई विमान नहीं.

कांग्रेस ने यह बयान तब दिया जब एक दिन पहले राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर ‘‘देशद्रोह’’ और राफेल विमान अनुबंध में अनिल अंबानी के ‘‘बिचौलिए’’ के रूप में काम करके सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. उन्होंने एक ईमेल का हवाला दिया जिसमें दावा किया गया है कि कारोबारी को भारत और फ्रांस के बीच यह सौदा तय होने से काफी पहले ही इसकी जानकारी थी.

बहरहाल, बीजेपी ने आरोप खारिज करते हुए कहा कि एक एयरबस कार्यकारी का यह कथित ईमेल किसी हेलीकॉप्टर सौदे के बारे में है ना कि राफेल के बारे में.

गांधी के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए अंबानी के रिलायंस डिफेंस ने कहा कि ईमेल में उल्लेखित प्रस्तावित एमओयू का जिक्र एयरबस हेलीकॉप्टर से उसके सहयोग को लेकर किया गया है इसका लड़ाकू विमान सौदे से “कोई लेना-देना” नहीं है.

रक्षा संबंधी संसद की परामर्श समिति के सदस्य और कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने लड़ाकू विमान राफेल की खरीद के मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को अधूरी बताते हुये कहा है कि इसे अभी दुरुस्त किये जाने की जरूरत है.

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य भट्टाचार्य ने संसद में सीएजी की रिपोर्ट पेश होने के बाद कहा ‘‘रिपोर्ट को एक नजर देखने के बाद फौरी तौर पर ऐसा लगता है कि सौदे का सही आंकलन हुआ ही नहीं है. सही आंकलन क्यों नहीं हुआ…., मुझे लगता है कि कुछ तथ्यों को छुपाने के लिये कोई बंदोबस्त हुआ है.’’

भट्टाचार्य ने कहा कि अभी उन्हें पूरी रिपोर्ट देखने का मौका नहीं मिला है, लेकिन फौरी तौर पर इसे देखने से साफ लगता है कि राफेल सौदे को लेकर इसमें पूरे तथ्य समाहित नहीं हो पाये हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें लड़ाकू विमान की कीमत का उपयुक्त जिक्र नहीं है.


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