अब करोना पर भूख का वार!


rajendra sharma writes of faliur of modi govt during lockdown

 

खुशखबरी! खुशखबरी! खुशखबरी!
इंतजार की घड़ियां खत्म हुईं. राज्यों की भारी डिमांड पर. टीवी वाली पब्लिक की भी जबर्दस्त मांग पर. मोदी जी के आशीर्वाद से. लॉकडॉउन-1 की अपार सफलता के बाद, 21 अप्रैल से देश भर में रिलीज हो रही है-लॉकडॉउन-2, लॉकडॉउन-2, लॉकडॉउन-2. आइए, आइए, आइए. घर बैठे, परिवार के साथ लॉकडॉउन-2 का मजा उठाइए. जान भी, जहान भी. मनोरंजन, हास्य और रहस्य से भरपूर, कोरोना को भी रखे दूर–लॉकडॉउन-2.

मनोरंजन ही मनोरंजन. इस बार लॉकडॉउन-1 के  तीन हफ्ते से थोड़ा कम, पर कई राज्यों की मांग के दो हफ्ते से थोड़ा ज्यादा, 3 मई तक घर पर रहिए. (लॉकडॉउन-3 का एंटीनेशनल जिक्र कोई नहीं करेगा.) घर बैठकर कमाई कीजिए. अगर पहले से सामान भरकर नहीं रखा हो तो घर बैठे खरीददारी कीजिए. घर बैठे लेन-देन कीजिए. टीवी देखिए. कंप्यूटर गेम खेलिए. नहीं सीखी हो तो कुकिंग सीखिए. जो शौक पालने के लिए अब तक टाइम नहीं निकाल पाए थे, उन्हें पाल-पोसकर आगे बढ़ाइए.

परिवार के साथ जिस क्वालिटी टाइम के लिए कमाई के हिसाब से देश से विदेश तक छुट्टियों के लिए जाते थे और उड़ानों से लेकर होटल तक पर पैसा पानी की तरह बहाते थे, घर बैठे मनाइए और वह भी बिल्कुल मुफ्त. बीवी-बच्चों की शिकायतें मिटाइए और लंबी छुट्टी का मजा उठाइए. फिर भी अगर बोरियत हो तो बलकनी में कंसर्ट में चले जाइए. जिस सोशल-डिस्टेंसिंग पर छटे-छमाहे पीकर या कभी-कभार बिना पिए ही खुद को गरियाते थे, उसका जश्न मनाइए और सोशल डिस्टेंसिंग और बढ़ाइए. सब सामाजिकता, फोन और सोशल मीडिया में ही निपटाइए. और हां! इंटरवल में संडे के संडे कभी थाली-घंटा बजाने का और कभी दिया-मोमबत्ती जलाने का, मजा भी उठाइए!

हास्य से भी भरपूर. हंसी से लोट-पोट होने का ऐसा मौका हर्गिज न गवाएं. पुलिस के डंडों से सोशल डिस्टेंसिंग का सबक सीखते लोगों को देखो. घरवालों से सैकड़ों किलोमीटर की सोशल डिस्टेंसिंग निभाते, पर खिचड़ी से लेकर संडास तक की लाइन मेें अनजान लोगों से छुआछूत मिटाते लोगों को देखो. खुद सरकार को महामारी को सांप्रदायिक टोपी पहनाते देखो. मीडिया को जमात-जमात जपते और बाकी सब को छुपाते देखो. हटो-बचो के शोर के बीच, भगवा भाइयों को मध्य प्रदेश की पूरी की पूरी सरकार चुराते देखो. लॉकडॉउन में मुस्तैदी से शाहजी की पुलिस को चुन-चुनकर सरकार को बुरा-भला कहने वालों को उठाते देखो. आंबेडकर के जन्म दिन पर, पोते को जेल भेजे जाते देखो. लॉकडॉउन में योगी राज को पत्रकारों पर मुकद्दमे बनाते देखो. मोदी जी को प्राइम टाइम में एक बार फिर कुछ भी करने का भरोसा नहीं देकर भी, हमने बहुत किया है, हम जो करेंगे बहुत करेंगे, जो भी करेंगे हम ही करेंगे, हम अच्छा ही करेंगे, का सोलो गीत गाते देखो.

और रहस्य ही रहस्य. कोरोना से लडऩे लिए चंदा जाएगा मोदी जी के कोष में और खर्चा करेंगे राज्य. मोदी जी औरतों के जनधन खाते में पांच सौ रुपए डालेंगे, पर जो पैसा निकालने जाएंगे, सोशल डिस्टेंसिंग कराने के लिए जेल भेजे जाएंगे. लोग घर से बाहर निकलने पर डंडा खाएंगे और फेरीवाले, घर पर सामान पहुंचाने वाले, सामान लेकर निकलने पर; फिर भी सब घर पर रहकर ही काम चलाएंगे! पीएम-सीएम सिर्फ प्रार्थना करेंगे कि मकान मालिक किराया नहीं मांगें और किराएदार सडक़ों पर आते जाएंगे. पीएम-सीएम सिर्फ प्रार्थना करेेंगे कि मालिकान मजदूरी नहीं काटें, मजदूर घर ही बैठाए जाते रहेंगे और एक वक्त की खिचड़ी की लाइन में आधा दिन बिताएंगे.

मजदूर-वजदूर मुगले आजम की अनारकली बना दिए जाएंगे, जिन्हें लॉकडॉउन जीने नहीं देगा और कोरोना मरने नहीं देगा; पर बादशाह सलामत ग्रेट कहलाएंगे. कोरोना से ज्यादा लॉकडॉउन से मारे जाएंगे और फिर भी लॉकडॉउन-1 की भारी कामयाबी के बाद, लॉकडॉउन-2 की जबर्दस्त सफलता के गीत गाए जाएंगे! और हां, अमरीका भले ही हमारे कोरोना टैस्टिंग किट चुरा ले गया हो, अपुन पूरी दोस्ती निभाएंगे और अपना हिस्सा काटकर, उसके ऑर्डर करते ही दवा पहुंचाएंगे. फिर भी देशभक्त नंबर-1 कहलाएंगे.

अंत में कहानी में पेच भी है. लॉकडॉउन-1 के तीन हफ्ते में कोरोना नहीं मरा, लॉकडॉउन-2 के ढाई हफ्ते के काम करने की क्या गारंटी है? युद्घ का क्रमिक विकास ही विजय की गारंटी है. कोरोना के खिलाफ मोदी जी के वैदिक युद्घ की क्रोनोलॉजी समझिए. पहले थाली-घंटा के ध्वनि प्रहार से कोरोना को बहरा कर दिया. फिर दीया-मोमबत्ती से प्रकाश प्रहार कर, कोरोना को अंधा कर दिया. यानी कोरोना को अंधा, बहरा लाचार कर के, असली लड़ाई तो लॉकडॉउन-1 में जीती भी जा चुकी है.

लॉकडॉउन-2 में तो बस सोशल डिस्टेंसिंग से कोरोना को भूखा मार देना है. उसके लिए ढाई हफ्ते काफी हैं. बाकी टैस्टिंग-वैस्टिंग भी होती रहेगी, हालांकि है ये सब पश्चिम के चोचले ही. हां! कोई यह नहीं पूछे कि कोरोना लॉकडॉउन-2 के अंत में भी नहीं मरा तो क्या? क्या लॉकडॉउन-3 बनेगी? हमें नहीं लगता. कोरोना तो बच भी जाए, पर भूख के वार से मजदूर-वजदूर नहीं बचेंगे. फिर कोरोना कैसे बचेगा? जंगल में शिकार नहीं, तो शिकारी भी नहीं. कोरोना, अब तू तो गया! मोदी जी के प्रहार से तू ना बचने का.


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