धार्मिक स्थलों पर विशाखा गाइडलाइन लागू करने संबंधी याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को धार्मिक स्थलों पर यौन उत्पीड़न के मामले से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में मांग की गई थी कि धार्मिक स्थलों पर महिलाओं से यौन उत्पीड़न के लिए कमिटी बनाई जाए.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस याचिका पर न्यायिक आदेश नहीं दिया जा सकता. उनका कहना है कि विशाखा गाइडलाइन को धार्मिक स्थलों पर लागू नहीं किया जा सकता.
जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप इसके लिए एक आपराधिक शिकायत दर्ज क्यों नहीं करते? विशाखा गाइडलाइन को धार्मिक स्थलों तक नहीं बढ़ाया जा सकता.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में यौन उत्पीड़न के खिलाफ कुछ निर्देश जारी किए थे. इन निर्देशों को विशाखा गाइडलाइंस के रूप में जाना जाता है.
1997 से पहले महिलाएं कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न की शिकायत आईपीसी की धारा 354 (महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले) और 509 (किसी औरत के सम्मान को चोट पहुंचाने वाली बात या हरकत) के तहत दर्ज करवाती थीं.
वकील मनीष पाठक ने यह याचिका दाखिल की थी जिसमें डेरा सच्चा सौदा, आसाराम, अन्य धार्मिक स्थलों में महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों का हवाला दिया गया था. लेकिन देशभर के आश्रमों, मदरसों व कैथोलिक संस्थाओं में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, रेप व छेड़छाड़ के मामलों के लिए कोई नियम नहीं हैं.
इसे विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार मामले के तौर पर भी जाना जाता है.