2006 से लगातार इसी तरह बढ़ी है बाघों की संख्या


since 2006 tiger population increased in the same manner

 

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 जारी करते हुए कहा कि भारत दुनिया में बाघों के लिए सबसे सुरक्षित और सबसे बड़े पर्यावास क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरकर सामने आया है.

दरअसल, रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में बाघों की संख्या 2006 में 1411 से बढ़कर 2018 में 2977 हो गई है.

बाघों की संख्या को लेकर प्रत्येक चार साल में वाइल्डलाइफ इन्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया की तरफ से जारी सर्वे को जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में 2014 के मुकाबले 2018 में बाघों की संख्या में 33 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि 2014 में बाघों के लिए संरक्षित क्षेत्रों की संख्या 692 थी, जो 2019 में बढ़कर 860 से ज्यादा हो गई है, साथ ही सामुदायिक संरक्षित क्षेत्रों की संख्या भी साल 2014 में 43 से बढ़कर अब सौ से ज्यादा हो गई है.

मोदी ने यह भी कहा कि 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में यह तय हुआ था कि 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी करनी है, हमने यह लक्ष्य चार साल पहले हासिल कर लिया है.

कुल मिलाकर प्रधानमंत्री का आशय यह था कि 2014 के बाद से शुरू हुए उनके कार्यकाल में ही केवल बाघों के संरक्षण की तरफ कदम उठाए गए हैं.

लेकिन असल में ऐसा है नहीं. यह बात सही है कि 2014 के बाद से बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन 2014 से पहले भी बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि, प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में इसका संज्ञान नहीं लिया है और ना ही इसकी कोई सराहना की है.

असल में 2014 से पहले भी बाघों के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम बनाए गए और उनसे सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए. 2014 में सत्ता में आए नरेंद्र मोदी ने भी उन्हीं कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया है.

दरअसल जिस रिपोर्ट के आधार पर नरेंद्र मोदी ने बताया है कि 2014 के बाद 2018 में बाघों की संख्या में 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वही रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2006 के बाद से बाघों की संख्या में लगातार छह प्रतिशत सालाना की वृद्धि हुई है.

रिपोर्ट में शामिल आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि 2006 में जहां देश में बाघों की संख्या 1411 थी, वहीं 2010 में यह बढ़कर 1706 हो गई. 2014 में यह संख्या 2,226 हुई और 2018 में 2977.

रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में 2018 में सबसे ज्यादा 526 बाघ हैं. इसके बाद 524 बाघों के साथ कर्नाटक का स्थान है. वहीं छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बाघों की संख्या में कमी आई है. इन दोनों प्रदेशों में 2014 में जहां क्रमश: 46 और 45 बाघ थे, वहीं 2018 में यहां केवल 19 और 28 बाघ ही बचे हैं.

2010 में भारत, बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया चीन, इंडोनेशिया, रूस, मलेशिया. लाओ पीडीआर, नेपाल, थाईलैंड, म्यामांर और वियतनाम के बीच हुए समझौते के तहत 2022 तक बाघों का संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था.


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