‘नो कास्ट, नो रिलिजन’ की पहचान के साथ पहली महिला बनीं स्नेहा


sneha became the first woman with the identity of no cast, no religion

 

एमए स्नेहा देश की पहली महिला बन गई हैं जो जाति और धर्म के बंधन से आधिकारिक रूप से मुक्त हैं. 35 साल की स्नेहा पेशे से वकील हैं. अंग्रेजी अखबार डेक्कन हेराल्ड में छपी खबर के मुताबिक तिरुपत्तूर के तहसीलदार टीएस सत्यमूर्ति ने स्नेहा को पांच फरवरी को ‘नो कास्ट, नो रिलिजन का प्रमाण-पत्र दिया. वह पिछले कई साल से इसके लिए प्रयास कर रही थीं.

प्रमाण-पत्र मिलने के बाद से स्नेहा और उनके प्रोफेसर पति प्रतिभा राजा के पास से लगातार फोन आ रहे हैं. तमिलनाडु के वेल्लूर जिले के तिरुपत्तूर की रहने वाली स्नेहा को लोग उन्हें बधाईयां दे रहे हैं और प्रमाण-पत्र पाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते हैं. उनके पति राजा इस प्रमाण-पत्र को एक सकारात्मक कदम के तौर पर देखते हैं.

स्नेहा कहती हैं, “मैं इसे अपने जीवन के सबसे प्रमुख लक्ष्य के पूरा होने के तौर पर देखती हूं. मेरे अभिभावक ने मुझमें और मेरी बहनों में यह विचार भरा कि सभी इंसान एक हैं और कोई जाति या धर्म नहीं होता है. यह संघर्ष आसान नहीं था लेकिन आज प्रमाण-पत्र अपने हाथ में लेते हुए, मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है.”

स्नेहा तीन बच्चों की मां हैं. उनके तीनों बेटियों के नाम अलग-अलग धर्मों में प्रचलित नामों से लिए गए हैं. उनकी बड़ी बेटी का नाम अधिराई नसरीन है. और यह नाम बौद्ध और इस्लाम से लिया गया है.

हालांकि स्नेहा जातिगत आरक्षण का समर्थन करती हैं. वह कहती हैं, “मैं स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि मैं आरक्षण के विरोध में नहीं हूं. मैं आरक्षण की नीति का समर्थन करती हूं और मानती हूं कि पिछड़े तबकों को आगे लाने के लिए उनको आरक्षण दिया जाना चाहिए.”

स्नेहा की दोनों बहनों का नाम मुमताज और जेनिफर है. वह कहती हैं कि वह मुमताज और जेनिफर के लिए भी ‘नो कास्ट नो रिलिजन’ सर्टिफीकेट के लिए आवेदन करेगी.

अभिनेता कमल हासन ने ट्वीट करके स्नेहा के फैसले का स्वागत किया है. इसके साथ ही अभिनेता और कार्यकर्ता सत्यराज ने भी उनके फैसले का स्वागत किया है.

साल 2017 से पहले भी स्नेहा ने ‘नो कास्ट नो रिलिजन’ प्रमाण-पत्र के लिए प्रयास किया था. लेकिन साल 2017 के बाद प्रमाण-पत्र लेने की प्रक्रिया में प्रगति आई.

वह कहती हैं, “हमने अधिकारियों को कहा कि जाति प्रमाण-पत्र के फार्मेट में उन्हें लिखकर दिया जाए कि वह किसी जाति से संबंध नहीं रखती हैं.”

स्नेहा कहती हैं कि सोशल मीडिया पर इस खबर को सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है. इसके माध्यम से यह विचार लाखों लोगों तक पहुंचा है.


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