करदाता, सांसद और विधायकों को किसान आय योजना का लाभ नहीं


Taxpayers mp mla and minister cannot avail farm income support

 

करदाता, सांसद, विधायक और मंत्री किसान आय योजना का लाभ नहीं उठा सकते हैं. बजट भाषण के बाद सामने आए दस्तावेजों से पता चलता है कि केंद्र की इस योजना से जिन लोगों को बाहर रखा गया है, उनकी सूची काफी लंबी है.

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 1 फरवरी को संसद में अंतरिम बजट पेश किया था. बजट भाषण में गोयल ने दो हेक्टेयर तक ज़मीन वाले किसानों को सालाना छह हज़ार रुपये देने का वादा किया है. केंद्र ने अब योजना के लाभार्थियों की सूची जारी की है.

सरकार की ओर से जारी सूची से स्पष्ट है कि पूर्व में या मौजूदा समय में संवैधानिक पदों पर बैठे लोग (जैसे निर्वाचन अधिकारी या गवर्नर) किसान आय योजना का लाभ नहीं उठा सकता है. उन सभी लोगों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा जिन्होंने बीते वित्त वर्ष में टैक्स भरा था.

इसके साथ ही, केंद्र या राज्य सरकार, सार्वजनकि उपक्रमों, स्वायत्त संस्थाओं और स्थानीय निकायों के रिटायर्ड या मौजूदा स्थायी कमर्चारी इस योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे. इसके अलावा 10 हजार या इससे ज्यादा की मासिक पेंशन का लाभ उठाने वाले लोगों को किसान आय योजनाओं के लाभार्थियों की सूची से बाहर रखा गया है.

पूर्व या मौजूदा विधायकों, सांसदों के अलावा नगर निगमों और जिला पंचायतों के प्रमुख को योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा.

क्लास IV या ग्रुप डी के कर्मचारियों के लिए राहत है इस योजना का लाभ उठा पाएंगे.

पेशेवर जिन्हें योजना का लाभ नहीं मिलेगा

डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट और आर्किटेक्ट जैसे पेशेवर लोग योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे.

केंद्र ने साफ कर दिया है कि योजना के तहत लाभार्थियों की पात्रता के निर्धारण की कट-ऑफ तारीख 1 फरवरी, 2019 है. साथ ही जानकारी दी गई है कि 01 फरवरी के बाद 5 साल तक पात्रता के लिए किसी भी तरह का बदलाव नहीं किए जाएंगे.

हालांकि, जिन मामलों में स्वामित्व का हस्तांतरण खरीद, उत्तराधिकार और वसीयत या तोहफे के जरिए 1 दिसंबर, 2018 से 31 जनवरी, 2019 के बीच हुआ, उन सभी को योजना का लाभ मिलेगा. पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में समुदाय-आधारित भूमि स्वामित्व अधिकार को देखते हुए केंद्र ने नियमों में कुछ बदलाव के साथ योजना लागू करने की बात कही है. केंद्र की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि भूमि संसाधन विकास प्रभारी, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मुख्यमंत्री की मौजूदगी में एक समिति का गठन किया जाएगा, जो इस संबंध में फैसला करेगी.


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