मध्य प्रदेश में बच्चा चोर गिरोह की अफवाह का सच


the truth behind child lifting gang in madhya pradesh

 

इन दिनों मध्य प्रदेश के कई जिलों में बच्चा चोर गिरोह के सक्रिय होने की अफवाह से लोग परेशान हैं और किसी अजनबी शख्स को बच्चा चोर गिरोह का सदस्य मानकर उसकी पिटाई कर डालते हैं. प्रदेश में इस तरह की घटनाओं के पीछे की वजह सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे वो नकली संदेश और वायरल वीडियो हैं, जिनमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश में 500 से 2000 रोहिंग्या मुसलमानों की टोली आई है उनके साथ महिलाएं और हथियार भी हैं. वो बच्चे चुराकर उनके गुर्दे आदि निकालकर बेच देते हैं. इस संदेश को भोपाल पुलिस के सीएसपी का बताकर वायरल किया जा रहा है.

संदेशों में देश-विदेश के उन नकली वीडियोज को भी जोड़ा गया है जो वीभत्स हैं. इस तरह के अफवाहबाज लोग बड़ी चतुराई से ब्राजील के जेल में हुए खून-खराबे की तस्वीर का सहारा ले रहे हैं या फिर सेक्स रैकेट में गिरफ्तार हुए लोगों की तस्वीर को बच्चा चोरी करने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के गैंग के रूप में फैला रहे हैं.

व्हाट्सएप पर वायरल अफवाह (फोटो क्रेडिट: ऑल्ट न्यूज)

बच्चा चोरी के शक में मॉब लींचिंग की घटनाएं मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नरसिंहपुर, गाडरवारा, रायसेन, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल समेत कई अन्य जिले में बीते एक हफ्ते के दौरान सामने आई हैं. जिसे लेकर पूरे प्रदेश में भय का माहौल है. लोग अपने बच्चों को घरों से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं. उन्हें हर वक्त ये अंदेशा बना रहता है कि पता नहीं कब कौन उनके बच्चे को उठा ले जाए. क्योंकि इस तरह के वायरल सोशल मीडिया संदेशों के साथ हिदायतों की एक लंबी फेहरिस्त भी परोसी जा रही है. जो ना केवल उन्हें और डराने का काम कर रही है बल्कि एक समुदाय विशेष के खिलाफ उनके मन में नफरत का बीज भी बो रही है.

सेक्स रैकेट में गिरफ्तार लोगों को बच्चा चोर गिरोह का बताया जा रहा है

पूरे मध्य प्रदेश में व्हाट्सएप पर बच्चा चोर गिरोह में रोहिंग्या मुस्लिमों के शामिल होने और बच्चों के गुर्दे निकालकर बेचने की अफवाह को लेकर राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है. जिसमें राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग को इन भ्रामक प्रचार को लेकर लोगों को सतर्क किए जाने की बात कही गई है. ताकि इस तरह की अफवाहों से पैदा भय का माहौल खत्म हो सके.

भोपाल पुलिस क्राइम ब्रांच ने भी व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि पर ऐसी अफवाह फैलाने वालों लोगों को सख्त चेतावनी देते हुए एडवायजरी जारी की है. जिसमें सोशल मीडिया पर इस तरह के गलत संदेश भेजने वालों पर कठोर कार्रवाई की बात कही गई है.

दिग्विजिय सिंह का कमलनाथ को लिखा पत्र

बच्चा चोरी की कोशिश के शक में अब तक जितने लोगों को पकड़ा गया है अगर उनके प्रोफाइल को देखें तो सचमुच उनपर दया आ जाएगी. उनमें कोई पागल है, कोई मानसिक रूप से कमजोर है तो कोई भिखारी है. घर से बेदखल कोई महिला मुफ्त खाने के लिए अस्पताल में शरण लिए हुए है तो उसे बच्चा चोर करार दे दिया गया है. इलाके में कोई अनजान शख्स किसी से मिलने आया और बच्चा चोरी के इलजाम में उसकी पिटाई हो गई. और तो और बैतूल के शाहपुर थाना क्षेत्र में कार में सवार कांग्रेस के दो नेता और एक समाजिक कार्यकर्ता झाड़ियों के पास से क्या गुजरे, लोगों ने उन्हें बच्चा चोर समझकर पीट डाला. गौर फरमाने वाली बात ये है कि शक के आधार पर अब तक पकड़े गए लोगों में इक्का-दुक्का को छोड़कर शायद ही कोई मुसलमान है.

भोपाल पुलिस की एडवायजरी

देश के कई दूसरे हिस्से, मसलन पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा आदि से भी बच्चा चोरी गैंग के वजूद में होने की अफवाह सोशल मीडिया पर वायरल होने की खबरें आ रहीं हैं. इससे जाहिर होता है कि कोई संगठित संगठन सोशल मीडिया के इस दौर में ऐसी अफवाहों के फैलने और फैलाने की रफ्तार और उसके पीछे लोगों के पागल हो जाने की परीक्षा ले रहा है. जैसा कि करीब दो दशक पहले 1995 में देखने में आया था, जब देश के मंदिरों में गणेशजी की मूर्तियों के दूध पीने की खबर रातों रात फैलाई गई और पूरा देश इसके विज्ञान को समझे बगैर दूध का कटोरा लिए मंदिरों में लंबी-लंबी कतारों में नजर आया.

बाद के सालों में ऐसी अफवाहों का इस्तेमाल देश को सांप्रदायिकता की आग में झोंकने के लिए कई संगठनों ने किया. ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार की ये कोशिश होनी चाहिए कि वो अपने सूचना तंत्र और पुलिसिया डंडे का इस्तेमाल सख्ती से करे ताकि ऐसे सांप्रदायिक तत्वों पर लगाम लगे और लोग रस्सी को सांप समझने और समझाने के खेल को भलीभांति समझ सकें.


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