…तो गरीबों की पेंशन गड़प जाएगी सरकार
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना शुरू की थी. 15 फरवरी से प्रभावी हुई इस योजना के तहत 60 वर्ष के बाद असंगठित क्षेत्र में कार्यरत कामगारों को प्रतिमाह 3000 रुपये पेंशन मिलने का प्रावधान है.
हालांकि अब सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि पेंशनधारक या उसकी पत्नी अथवा पति की मौत के बाद उन पर आश्रित परिवारजनों और अविवाहित बच्चों को पेशन का लाभ नहीं मिल पाएगा. ऐसी स्थिति में पेंशन की राशि वापस सरकार के फंड में चली जाएगी.
अंशदायी पेंशन योजनाएं आमतौर पर आश्रित और अविवाहित बच्चों को भुगतान सुनिश्चित करती हैं, लेकिन प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना के तहत ऐसा नहीं होगा.
जाहिर है कि ये प्रावधान बेहद आपत्तिजनक है और पेंशन देने के उद्देश्य को ही खत्म कर देता है.
इस मुद्दे पर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ का कहना है कि अंशदायी पेंशन योजनाओं के तहत मिलने वाले पैसे को सब्सक्राइबर और उसकी पत्नी या पति के मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को मिलना ही चाहिए.
उन्होंने कहा कि गरीब अपनी बचत कर के पैसा योजना में डालते हैं. इसलिए, अगर माता-पिता दोनों की मृत्यु हो जाए तो सरकार को उनके जमा पैसे नहीं खाने चाहिए.
हालांकि, बजट में कहा गया था कि जिनकी उम्र 18-29 के बीच है, और उनकी आय प्रति माह 15,000 रुपए से कम हो, वे इस योजना के लिए आवेदन दे सकते हैं. लेकिन, जारी की गई अधिसूचना में ये उम्र बढ़ाकर 40 वर्ष कर दी गई है. इस तरह प्रति माह उम्र के हिसाब से योजना में रकम का योगदान भी बढ़ेगा.
इसमें 60 वर्ष की उम्र होने तक 18 वर्ष के सब्सक्राइबर को प्रति माह 55 रुपए जमा करने होंगे, 29 वर्ष के सब्सक्राइबर को 100 रुपए और 40 वर्ष के सब्सक्राइबर को 200 रुपए जमा करने होंगे. यह योजना घरेलू कामगार, स्ट्रीट वेंडर, मिड डे मील कर्मचारी, मोची, रैग पिकर, रिक्शा चालक और निर्माण श्रमिकों के रूप में लगे व्यक्तियों के लिए है. श्रम और रोजगार मंत्रालय ने यह अधिसूचना 7 फरवरी को जारी की थी और यह योजना 15 फरवरी से शुरू हुई है.