जन्मदिन विशेष : जावेद अख्तर का फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति में ऐसे रहा है बराबर योगदान
धुआँ जो कुछ घरों से उठ रहा है, न पूरे शहर पर छाए तो कहना .
जावेद अख्तर का ये शेयर देश की मौजूदा हालत को बयां करता हैं. जावेद अख्तर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी (NRC) को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ बेबाकी से अपनी बात बोलते आए हैं. जावेद ने एनआरसी, नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया था. ऐसा पहली बार नहीं है जावेद हर सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे पर बोलते रहते हैं.
याद उसे भी एक अधूरा अफ्साना तो होगा, कल रस्ते में उसने हमको पहचाना तो होगा ये शायरी गीतकार , कवि और लेखक जावेद अख्तर की हैं. वे आज अपना 75 वां जन्मदिन मनना रहे हैं. जावेद का जन्म मशूहर निसार अख्तर के घर हुआ. उनके नाम का एक किस्सा भी काफी मशूहर है. निसार अख्तर ने अपने शेयर लम्हा लम्हा किसी जादू का फसाना होगा. इस शेयर से जावेद का नाम जादू रह दिया गया. लेकिन जैसे वे बड़े होते रहे जावेद का नाम बदल कर जावेद कर दिया गया.
कॉलेज के दिनों से ही जावेद सभी पर अपने शब्दों का जादू बिखेर रहे थे. जावेद 60 दशक में फिल्म इंडस्ट्री काम ढुंढ रहे थे. वे अपनी स्क्रिप्ट किसी प्रोडयूसर के पास लेकर गए तो उन्होने कहा कि तुम कभी राइटर नहीं बन सकते हो. लेकिन जावेद लगातार संघर्ष करते रहे. साथ ही संघर्ष के दिनों में जावेद की दोस्ती सलीम खान से होगी. इन दोनों की दोस्ती ने फिल्म इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम हासिल किया. दोनो ने मिलकर कई मशूहर फिल्में ‘अंदाज’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘यादों की बारात’, ‘जंजीर’,’दीवार’, ‘हाथी मेरे साथी’ और ‘शोले ‘ की.
जावेद अख्तर को आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से उनके गीतो के लिए सम्मानित किया गया है. साल 1999 में उन्हे पदमश्री से सम्मानित किया गया. 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया.