पुण्यतिथि विशेष: बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी कैसे बन गए जॉनी वाकर


johnny walker death anniversary

हिन्दी सिनेंमा के मशूहर कॉमेडिन जॉनी वॉकर की आज पुण्यतिथी है. सभी को हंसने वाले जॉनी वाकर का निधन 29 जुलाई 2003 को हुआ. हिन्दी सिनेंमा में जॉनी वॉकर का योगदान बेहद ही अहम हैं, उन्होंने अपने अभिनय से सभी दर्शकों को गुदगुदया. जॉनी का जन्म 11 नवम्बर 1920 में इंदौर में हुआ. जॉनी वॉकर का नाम असली नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी था. फिल्मों में आने से पहले वह एक बस कंडक्टर हुआ करते थे.

एक दिन दिग्गज कलाकार बलराज साहनी जॉनी की बस में सफर कर रहे थे. उन्होने देखा कि ये व्यक्ति सभी को हंसा रहा है. जॉनी का ये अंदाज बलराज को बेहद पसंद आया. बलराज ने जॉनी से कहा तुम गुरु दत्त से जाकर मिलो. गुरु दत्त फिल्म बाजी को लिख रहे थे. दत्त साहब को भी जॉनी का अभिनय पसंद आया. फिर क्या था जॉनी फिल्म बाजी का हिस्सा बन गए. इस फिल्म से उन्होंने एक अलग पहचान बनाई.

बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी को जॉनी वॉकर नाम गुरु दत्त ने ही दिया था. उन्होंने वॉकर को यह नाम एक लोकप्रिय व्हिस्की ब्रांड के नाम पर दिया था. जॉनी वाकर ने गुरुदत्त की कई फिल्मों कि जैसे आर-पार, प्यासा, चौदहवी का चांद, कागज के फूल, मिस्टर एंड मिसेज 55 आदि में काम किया.

इनमें से जॉनी की कई फिल्में सुपर हिट रहीं जैसे बाजी,जाल, आंधियां, बाराती, टैक्सी ड्राइवर, मिस्टर एंड मिसेज 55, सीआईडी, प्यासा, गेटवे ऑफ इण्डिया, मिस्टर एक्स,मधुमती.

साल 1959 में मधुमती फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्‍ट सपोर्टिंग एक्‍टर के अवॉर्ड से सम्मनित किया गया था. इसके बाद फिल्म शिकार के लिए जॉनी को कॉमिक एक्‍टर के फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.

काफी लंबे समय के बाद जॉनी ‘चाची 420’ फिल्म में नजर आए. जॉनी वॉकर ने अपने अभिनय से ये साबित कर दिया की ऐसे ही उन्हें बेस्ट कॉमेडिन नहीं कहा जाता है.


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