चुनाव आयोग नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत: अभिषेक मनु सिंघवी
प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के गंभीर मामलों में मिली क्लीन चिट और पूरी चुनाव प्रक्रिया के दौरान रहे चुनाव आयोग के रवैये पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. जिसके बाद आयोग की फैसला लेने की क्षमता, नियमों की परिभाषा, प्रतिरोध को महत्तव और सबसे जरूरी आयोग में नियुक्ति प्रक्रिया पर बहस तेज हो गई है.
इस संबंध में अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया है.
साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “आयोग में नियुक्ति के दौरान विपक्ष की कोई भूमिका नहीं होती है और फैसला सरकार करती है.” वो चुनाव आयोग नियुक्ति प्रक्रिया की तुलना करते हुए कहते हैं कि “केंद्रीय सतर्कता आयोग, सीबीआई और लोकपाल में नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान विपक्ष की भी भूमिका होती है. ऐसे में आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के जरूरत है.”
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ये पूछे जाने पर कि कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान इन बदलावों की ओर क्यों नहीं ध्यान दिया गया, वो कहते हैं, “साफ-साफ कहूं तो पहले कभी हमारे प्रधानमंत्रियों ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया और ना ही इस तरह से व्यवहार किया. कांग्रेस के साथ-साथ दूसरी पार्टियों से भी इस देश में प्रधानमंत्री रहे हैं. पर क्या तब आदर्श आचार संहिता उल्लंघन पर इतने गंभीर सवाल उठाए गए. मौजूदा प्रधानमंत्री ने सभी सीमाएं लांघ दी हैं. उन्होंने नई समस्याओं को जन्म दिया है ऐसे में इन समस्याओं के लिए नए समाधान पर गौर करने की जरूरत है.”
सिंघवी के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में आयोग का फैसला पक्षपातपूर्ण रहा. चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए वो कहते हैं कि इतना ज्यादा डर पैदा कर दिया गया है कि प्रशासनिक स्तर पर स्वतंत्र फैसले करने की क्षमता खत्म हो गई है.
इससे पहले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग के रवैये पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं.