असम गण परिषद और बीजेपी आए साथ-साथ
असम गण परिषद (अगप) असम में बीजेपी के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेगी. नागरिकता (संशोधन) विधेयक के मुद्दे पर दो महीने पहले परिषद ने बीजेपी से अपने संबंध समाप्त कर लिए थे.
परिषद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में बीजेपी सरकार से अपना समर्थन जनवरी में वापस ले लिया था.
बीजेपी के महासचिव राम माधव, परिषद अध्यक्ष अतुल बोरा आदि ने बीते मंगलवार 12 मार्च की मध्यरात्रि के बाद तक चली बैठक में गठबंधन को अंतिम रूप दिया.
बुधवार की सुबह बीजेपी के पूर्वोत्तर प्रभारी राम माधव ने ट्वीट किया, “बैठक के बाद बीजेपी और परिषद ने आने वाले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए साथ काम करने का निर्णय लिया है.”
उन्होंने कहा, ‘‘गुवाहाटी में बीजेपी नेता हेमंत विश्व शर्मा और परिषद के अतुल बोरा और केशव महंत की उपस्थिति में यह घोषणा हुई.’’ माधव ने बताया कि गठबंधन में तीसरा सहयोगी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) है.
गठबंधन के बाद अतुल बोरा ने संवाददाताओं से कहा कि कांग्रेस को हराने के लिए पहले के सहयोगी फिर से साथ आ गए हैं. हालांकि असम गण परिषद प्रमुख ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक और चुनाव के दौरान इस मुद्दे पर पार्टी के रुख को लेकर पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया.
नागरिकता (संशोधन) विधेयक में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिम लोगों को भारत में छह साल तक रहने के बाद नागरिकता देने की बात कही गई है. इसका विरोध करते हुए परिषद ने सार्वजनिक तौर पर बीजेपी नेतृत्व की आलोचना की थी.
असम में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 14 सीटों में से सात पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी. बीपीएफ और परिषद का कोई उम्मीदवार जीत नहीं पाया था. राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी, अगप और बीपीएफ ने मिलकर चुनाव लड़ा था और 2001 से राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस को हराया था.