मोदी की नैय्या डूब रही है, आरएसएस ने भी छोड़ा साथ: मायावती


mayawati accepts amit shah's challenge to debate caa

 

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि उनकी नैया डूब रही है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी उनका साथ छोड़ दिया है .

मायावती ने आज सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए लिखा, “पीएम श्री नरेंद्र मोदी की सरकार की नैया डूब रही है, और इसका जीता जागता प्रमाण यह है कि (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) आरएसएस ने भी इनका साथ छोड़ दिया है.”

उन्होंने कहा, “इनकी घोर वादा खिलाफी के कारण भारी जन-विरोध को देखते हुये संघी स्वंय सेवक झोला लेकर चुनाव में कही भी मेहनत करते नजर नही आ रहे हैं, जिससे मोदी के पसीने छूट रहे हैं.”

मायावती ने कहा, “पीएम श्री मोदी ने अब और कुछ नहीं तो गठबंधन पर जातिवादी होने का जो आरोप लगाया है वह हास्यास्पद व अपरिपक्व है. जातिवाद के अभिशाप से पीड़ित लोग जातिवादी कैसे हो सकते हैं? मोदी जन्म से ओबीसी नहीं हैं इसीलिए उन्होंने जातिवाद का दंश नहीं झेला है और ऐसी मिथ्या बातें करते हैं.”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “जनता को बरगलाने के लिये देश ने अब तक कई नेताओं को सेवक, मुख्य सेवक, चायवाला व चौकीदार आदि के रूप में देखा है. अब देश को संविधान की सही और कल्याणकारी मंशा के साथ चलाने वाला शुद्ध पीएम चाहिए. जनता ने ऐसे बहुरूपियों से बहुत धोखा खा लिया है और अब आगे धोखा खाने वाली नहीं है. ऐसा साफ लगता है.”

मायावती ने कहा, “पीएम मोदी ने अब लोगों को बरगलाने के लिए कल से एक नया चुनावी शिगूफा छोड़ा है कि उनकी जाति वही है जो गरीब की जाति है. चुनावी स्वार्थ हेतु मोदी न जाने क्या-क्या छल करेंगे लेकिन 5 साल तक करोड़ों गरीबों, मजदूरों, किसानों आदि की दुर्दशा के लिए जनता उन्हें कैसे माफ कर सकती है?”

मायावती ने कहा, “रोड शो व जगह जगह पूजा पाठ एक नया चुनावी फैशन बन गया है जिस पर भारी खर्च किया जाता है. आयोग द्वारा उस खर्चे को प्रत्याशी के खर्च में शामिल करना चाहिए और यदि किसी पार्टी द्वारा उम्मीदवार के समर्थन में रोड शो आदि किया जाता है तो उसे भी पार्टी के खर्चे में शामिल किया जाना चाहिए.”

बसपा प्रमुख ने ट्वीट में कहा, “साथ ही किसी भी पार्टी के उम्मीदवार के चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध लगाने के दौरान यदि वह पूजा पाठ आदि करता है और उसे मीडिया में बड़े पैमाने पर प्रचारित किया जाता है तो उस पर भी रोक लगनी चाहिए. आयोग इस पर भी कुछ जरूरी कदम उठाए.”


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