व्यापार युद्ध: चीन ने वित्तीय क्षेत्र में विदेशी निवेश पर लगे प्रतिबंध हटाने शुरू किए


china started to uplift ban of foreign investment in its financial sector

 

चीन ने अपने वित्तीय क्षेत्र में विदेशी निवेश पर लगी रुकावटों में ढील देने की शुरुआत कर दी है. चीन और अमेरिका पिछले कई महीनों से व्यापार युद्ध में उलझे हुए हैं. अमेरिका लगातार चीन पर विदेशी निवेश में लगी रुकावटों को हटाने के लिये दबाव डालता रहा है.

चीन के बैंकिंग एवं बीमा नियामक ‘चाइना बैंकिंग एंड इंश्योरेंस रेग्यूलेटरी कमीशन (सीबीआईआरसी)’ ने तीन जनवरी को कहा कि 2020 की शुरुआत से विदेशी बैंक चीन में पूर्ण स्वामित्व वाली शाखाएं खोल सकेंगे.

अभी तक बाहरी बैंकों के समक्ष चीन में शाखा खोलने के लिए यह बाध्यकारी शर्त थी कि वे किसी स्थानीय भागीदार के साथ संयुक्त उपक्रम बनाएंगे और संयुक्त उपक्रम में बाहरी बैंकों की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी.

अमेरिका और चीन मार्च 2018 से व्यापार युद्ध में संलिप्त हैं. दोनों देशों ने एक-दूसरे के अरबों डॉलर के आयात पर शुल्क बढ़ाया है. हालांकि, अब दोनों पक्ष जारी व्यापार युद्ध को शांत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. दोनों देश इसी महीने प्राथमिक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं.

अमेरिका लंबे समय से चीन को अपने वित्तीय क्षेत्र को बाहरी निकायों के लिये उदार बनाने के लिये कहता आ रहा है. चीन के इस कदम को प्राथमिक समझौते पर हस्ताक्षर से पहले सद्भावना के संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

चीन ने इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में रुकावटों को क्रमबद्ध तरीके से हटाने की समयसीमा की घोषणा की थी.

बाहरी बैंकों की तरह ही वायदा अनुबंध कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियां अब एक जनवरी से चीन में निवेश कर सकेंगी. उनके लिए पूंजी की कोई सीमा नहीं होगी. वहीं कोष प्रबंधन कंपनियां ऐसा एक अप्रैल 2020 से तथा विदेशी ब्रोकरों के लिये एक दिसंबर 2020 से निवेश प्रतिबंध समाप्त हो जाएंगे.


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