एएन-32 विमान का कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर बरामद


Cockpit voice recorder recovered from AN-32 aircraft

 

अरुणाचल प्रदेश में भारतीय वायुसेना के एएन-32 परिवहन विमान का ‘कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर’ (सीवीआर) और ‘फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर’ (एफडीआर) बचावकर्मियों की एक टीम ने दुर्घटना स्थल से बरामद कर लिया है.

शिलांग में कार्यरत वायुसेना प्रवक्ता रत्नाकर सिंह ने बताया कि खराब मौसम और दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद वायुसेना, थल सेना और स्थानीय लोगों का बचाव दल दुर्घटना में जान गंवाने वाले वायुसेना कर्मियों के शवों को बरामद करने की अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश कर रहा है.

वायुसेना ने कहा था कि विमान में सवार सभी 13 लोगों की मौत हो गई है.

रूस निर्मित एएन-32 विमान असम के जोरहाट से तीन जून को चीन की सीमा के पास स्थित में चुका एडवांस लैंडिंग ग्राउंड जा रहा था, लेकिन उड़ान भरने के करीब आधे घंटे बाद रडार से इसका संपर्क टूट गया और फिर इसका कुछ अता-पता नहीं चल पाया था.

प्रवक्ता ने बताया कि एएन-32 में सवार सभी लोगों के शवों को बरामद करने की प्रक्रिया अब भी जारी है. दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र के अलावा खराब मौसम और लगातार हो रही बारिश शवों को बरामद करने की कोशिशों में बाधक बन रही है.

उन्होंने बताया कि 13 जून को बचाव अभियान में तीन और स्थानीय पर्वतारोही शामिल किए गए.

वायुसेना ने बयान में कहा कि दुर्घटना में जान गंवाने वाले कर्मियों का पार्थिव शरीर वापस लाने की कोशिश जारी है.

वायुसेना ने कहा, ‘‘आईएएफ के पर्वतारोही, थल सेना के विशेष कर्मी और स्थानीय पर्वतारोहियों को दुर्घटना स्थल से यथासंभव निकटतम स्थान पर उतारा गया और वे दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए. ’’

बयान में कहा कि वायुसेना के विमानों ने एनएन-32 की तलाश में दुर्घटनास्थल की ओर करीब 200 चक्कर लगाए हैं.

वायुसेना ने कहा कि दुर्घटनाग्रस्त विमान में सवार सभी लोगों के निकट परिजन को वायुसेना की खोज अभियान के बारे में जानकारी दी गई है. संबद्ध परिवारों को शवों की बरामदगी की प्रगति से अवगत कराया गया है.

उन्होंने कहा कि (खराब)मौसम और (घने वन वाला पर्वतीय) दुर्गम क्षेत्र बचाव दल के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रहा है. दुर्घटनास्थल सीधी ढाल वाली एक गहरी खाई में है, जहां तक पहुंच पाना काफी मुश्किल भरा कार्य है.

वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर से मंगलवार को सियांग और शी-योमी जिलों की सीमा पर स्थित गाट्टे गांव के पास 12,000 फुट की ऊंचाई पर विमान का मलबा देखा गया था. आठ दिनों तक चली व्यापक खोज के बाद विमान के बारे में यह जानकारी मिल पाई थी.


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