यूपी सरकार भू-माफियाओं को संरक्षण दे रही है: सीपीएम


CPM Condemn Killings of Adiwasi Farmers in Sonbhadra, Demands Immidiate Action Against The Culprits

 

सीपीएम ने सोनभद्र में आदिवासियों की हत्या की निंदा की है. पार्टी ने घटना के संबंध में शनिवार 20 जुलाई को बयान जारी किया.

पार्टी ने बयान दिया है, “पार्टी 10 भूमिहीन आदिवासी किसानों की निर्मम हत्या की कड़ी निंदा करती है. सोनभद्र जिला के उम्भा गांव में हुई यह हत्या में शामिल भू-माफियाओं को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन का समर्थन हासिल है.”

पार्टी ने कहा है कि आदिवासी किसान पिछले सात दशकों से खेती पर निर्भर हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने उन्हें उनकी जमीन का पट्टा नहीं दिया.

पार्टी ने बयान दिया है, “जब से उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ की सरकार आई है, तब से इन किसानों को भू-माफियाओं की ओर से खेती ना करने को लेकर धमकी मिलनी शुरू हो चुकी थी. और जब आदिवासी किसानों ने प्रशासन से इस बारे में शिकायत की तो उन्होंने माफियाओं के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से इनकार कर दिया था.”

पार्टी ने लिखा है कि आदित्यनाथ सरकार यह जिम्मेदारी किसी और के माथे मढ़ रही है. लेकिन ये उन्हीं के शासनकाल में हो रहा है कि गांव के प्रधान और भू-माफिया मिल कर आदिवासियों को डरा-धमका रहे हैं.

पार्टी ने कहा, “यह निंदनीय है कि सरकार ने अभी तक पीड़ितों की मदद नहीं की है. इसके उलट कइयों को जबरन अस्पताल से घर भेज दिया गया है.”

पार्टी ने दावा किया है कि, “हमने गांव जाकर मृतकों के परिजनों से मुलाकात की. पार्टी ने योगी सरकार द्वारा गांव में प्रवेश पर लगाए प्रतिबंध को तोड़ते हुए ऐसा किया.”

सीपीएम के छह नेताओं ने गांव का दौरा किया था. इसमें सीपीएम के सेंट्रल कमिटी के सदस्य और राज्य सचिव हीरालाल यादव के अलावा दिनानाथ यादव, अनुप प्रताप सिंह, बच्चा लाल, अरविंद वकील और अनिल कुमार सिंह शामिल हैं.

पार्टी ने कहा कि परिजनों ने जो जानकारी दी है वो बहुत डरावनी है. जब आदिवासी किसान खेतों में जुताई कर रहे थे तब गांव के प्रधान यज्ञ दत्त के आदमी ट्रक भर आए और अंधाधुन गोलियां चलाने लगे.

पीड़ित परिवारों ने बताया कि कितनी बार वे प्रशासन के पास जाकर जमीन का पट्टा उनके नाम करने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया.

इससे पहले 1955 में किसी सिन्हा के नेतृत्व में शक्तिशाली जमींदारों ने भूमी पर कब्जा कर लिया था. और आदर्श ट्रस्ट के नाम पर एक ट्रस्ट का गठन किया गया था. तब से आदिवासी परिवार प्रति बीघा वार्षिक किराया दे रहे हैं, जो पिछले भुगतान में 500 रुपये प्रति बीघा इस आश्वासन पर दिया गया था कि जमीन नहीं बिकने वाली है. 2017 में प्रशासन की मदद से भूमि को स्पष्ट रूप से यज्ञ दत्त को बेच दिया गया था. ऐसा राज्य में बीजेपी सरकार के दौरान हुआ है.

पार्टी ने कहा कि यह साफ है कि वर्तमान सरकार इन भू-माफिया को संरक्षण दे रही है. और आदिवासियों को उनके जमीन का पट्टा देने से इनकार कर रही है. पार्टी ने घायलों और अस्पताल में भर्ती लोगों से भी मुलाकात की.


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