धेमाजी विस्फोट मामले में पांच दोषियों को उम्रकैद
15 साल पुराने धेमाजी विस्फोट मामले में पांच दोषियों को आजीवन कारावास जबकि दो लोगों को चार-चार साल की सजा सुनाई गई है. असम के धेमाजी की एक अदालत ने यह फैसला दिया.
उग्रवादी समूह उल्फा ने साल 2004 में स्वतंत्रता दिवस पर धेमाजी कॉलेज के परेड ग्राउंड में बम विस्फोट किया था. इस विस्फोट में 10 स्कूली बच्चों सहित 13 लोगों की मौत हुई थी और 40 से अधिक लोग घायल हुए थे.
धेमाजी जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुखराम दास ने फरार चल रहे उल्फा सदस्य राशिद भराली, जतिन दुवोरी उर्फ रंगमन, लीला गोगोई खान, दीपांजलि गोहेन और मुही हंदीक को उम्रकैद की सजा सुनाई. इन पांचों दोषियों पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है.
अदालत ने प्रशांत भुइयां और होमन गोगोई को चार-चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. साथ ही उन पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
बताया जाता है कि राशिद भराली, जिसे विस्फोट का मास्टरमाइंड माना जाता है, उल्फा-इंडिपेंडेंट के ‘मुख्य कमांडर’ परेश बरूआ के साथ छिपा हुआ है.
अदालत ने जया चुटिया, अप्सरा बरूआ, गोविंद कालिता, जॉय चंद्र चुटिया, मीन बरूआ, जितेन चुटिया, चंद्र नाथ गोगोई और मोहन चुटिया को बरी किया.
घटना के बाद से, विस्फोट पीड़ितों के परिजनों सहित 77 गवाह अदालत के सामने पेश हो चुके हैं.
अदालत ने 20 जून को अपना फैसला सुनाना था लेकिन एक दुर्घटना में बचाव पक्ष के वकील की मौत के बाद इसे टाल दिया गया था.
पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत 15 लोगों को आरोप-पत्र में नामजद किया था.
15 में से 14 आरोपी, परिजन और गवाह चार जुलाई को अदालत में मौजूद थे.