जॉब डेटा लीक होने के बाद जारी किया गया ‘कोड ऑफ प्रोफेशनल एथिक्स’


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सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर मंत्रालय द्वारा गठित सभी समितियों और इसके नियंत्रण वाले संस्थानों के सदस्यों को ‘कोड ऑफ प्रोफेशनल एथिक्स’ के बारे में बताया है.

इसके तहत कोई भी वर्तमान और पूर्व सदस्य किसी भी प्रकार के गोपनीय बातचीत या डेटा शेयर नहीं कर सकते हैं.

यह नया निर्देश एनएसएसओ के जॉब डेटा रिपोर्ट के सामने आने के बाद आया है. लोकसभा चुनाव से पहले आई इस रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में बेरोजगारी 45 सालों में सबसे ज्यादा है.

विपक्ष ने उन आंकड़ों का इस्तेमाल कर सरकार को घेरने की कोशिश की थी.

शुक्रवार 19 जुलाई को आई इस अधिसूचना में कहा गया कि पूर्व सदस्य केवल वही डाटा शेयर करेंगे जो पहले से आधिकारिक रूप से सार्वजनिक किया जा चुका है. और यह निर्देश सभी समितियों के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के लिए भी है.

जनवरी में एनएसएसओ का रोजगार संबंधित डेटा लीक हो जाने के बाद यह राजनैतिक मुद्दा बन गया था. इसके बाद ही राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष पीसी मोहनन और जेवी मिनाक्षी ने रिपोर्ट के जारी ना किए जाने के विरोध में इस्तीफा दे दिया था.

सदस्यों के कर्तव्यों को रेखांकित करते हुए अधिसूचना में कहा गया है, “उन्हें जानकारी और डेटा की इज्जत करनी चाहिए और इसकी गोपनीयता को बरकरार रखना चाहिए.”

अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि कोई भी पूर्व सदस्य किसी भी डेटा का इस्तेमाल अपने निजी हितों के लिए या किसी अन्य व्यक्ति या संगठन को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं कर सकता है.

अधिसूचना में कहा गया है कि कोई भी सदस्य मीडिया के किसी भी माध्यम से किसी भी समिति के काम की आलोचना नहीं कर सकता है, और न ही किसी सदस्य की आलोचना कर सकता है. क्योंकि समिति हर फैसला सभी सदस्यों के सहयोग और सर्वसम्मति से लेती है.

इस कदम को सही ठहराते हुए मंत्रालय ने कहा, “विचार-विमर्श के दौरान समिति के सभी सदस्य अप्रकाशित डेटा, ड्राफ्ट मेथडोलॉजी और अन्य जानकारी से समितियों के प्रभावी रूप से कामकाज में मदद करते हैं. साझा किए गए डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए, समिति की आंतरिक जानकारी और बातचीत, आपस में हितों के टकराव को दूर करने के लिए, यह जरूरी है कि सभी समितियों के सदस्यों के लिए कोड ऑफ प्रोफेशनल एथिक्स लाया जाए.”


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