सोनभद्र मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हो मामला: किसान सभा


in sonbhadra massacre case should be filed against responsible officers

 

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा की राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सोनभद्र मामले में विशेष आग्रह किया है. सभा ने कहा कि मजदूर चाहते हैं कि सरकार आदर्श सहकारी समिति, उम्भा गांव की 90 बीघा जमीन का ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भूर्तिया, उसके 11 रिश्तेदारों को गैरकानूनी बिक्री और हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार जिलाधिकारी सोनभद्र और अन्य जिम्मेदार अफसरों को सस्पेंड करे. साथ ही उनके विरूद्ध अभियोग दर्ज करें.

सभा ने कहा कि ट्रस्ट की जमीन की बिक्री निजी लोगों के लिए वर्जित है. बिक्री का तहसीलदार और एसडीएम से स्वीकृति और पंजीकरण के बाद पूर्व जिलाधिकारी की ओर से इसकी अनुमति ना देने के कारण दाखिल खारिज रुका रहा. जब वर्तमान जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल ने लोगों की आपत्तियों को खारिज किया तब 27 फरवरी 2019 को दाखिल खारिज हुआ.

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कहना सही है कि इस तरह के तमाम ट्रस्ट कांग्रेस शासन के दौरान बने.

इस विवाद की तमाम अनियमितताएं उनके प्रशासन ने की हैं. ऐसी बहुत सी रिपोर्ट हैं जिनमें कहा गया कि पुलिस गांव के आदिवासियों पर दबाव बनाती रही कि वे समर्पण कर समझौता कर लें. पुलिस इस हमले मे भी संलिप्त थी.

सभा ने कहा कि मुख्य वन संरक्षक श्री ऐके जैन ने पांच साल पहले यह रिपोर्ट दी थी कि वनों और गांव सभाओं की एक-एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा गैरकानूनी जमीन ऐसे ट्रस्टों के नाम पर हस्तांतरण कर दी गई है, लेकिन उसकी कोई जांच नहीं हुई है. ये सभी सोसाइटियां किसानों को मुफ्त खाद, बीज व कीटनाशक दवाएं देने के लिए बनी थीं. हालांकि इस पीढ़ी में किसी को भी इसका लाभ नहीं मिला है.

सभा के अनुसार इन ट्रस्टों ने अपने घोषित उद्देश्य को पूरा नहीं किया है और इनकी तमाम जमीनों को आदिवासियों, दलितोंऔर भूमिहीनों को पट्टे के रूप में दिया जाना चाहिए. यह जमीनें पारम्परिक रूप से भी आदिवासियों की ही थीं. वन अधिकार कानून 2006 के तहत इन्हें आवंटित किया जाना चाहिए.

एनबीएस संयोजक भीमलाल व एआईकेएमएस नेता विनोद निषाद की टीम ने 20 जुलाई को गांव पहुंचकर प्रभावित लोगों से बात की. हालांकि अधिकारियों ने गांव की बैरिकेटिंग कर दी है और वह किसी भी सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता को वहां नहीं जाने दे रहे हैं. ऐसा करने के पीछे उनका मकसद गांव के प्रभावित लोगों को अधिकारियों तक ना पहुंचने देना है. वे चाहते हैं कि गांव वाले योगी शासन के संलिप्त अधिकारियों की शिकायत न कर पाएं.

23 जुलाई को प्रदेश के कई जिलों में आदिवासियों के खिलाफ हुए इस हमले के विरोध में प्रदर्शन किए जाएंगे. इस विरोध में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय जिसमें, वनों से उन आदिवासियों को, जिनके दावे खारिज हो चुके हैं उन्हें बेदखल किया जाना है. प्रदर्शन में वन अधिकार कानून 2006 और पेसा कानून को अमल में लाने की भी मांग उठाई जाएगी.


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