डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की हड़ताल


indian medical association announced strike for doctors saftey

 

डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एकदिवसीय हड़ताल का एलान किया है. देश की राजधानी के अन्दर सरकारी और प्राइवेट अस्तपाल के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल मे हुए जूनियर डाक्टरों पर हमले के विरोध में हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डाक्टरों ने भी हड़ताल कर रहे शेष डॉक्टरों का साथ देने का फैसला लिया है. इससे पहले एम्स ने आईएमए की हड़तताल में शामिल होने से किनारा कर लिया था.

एम्स के डॉक्टरों ने दोपहर 17 जून की दोपहर 12 बजे से 18 जून की सुबह नौ बजे काम पर ना जाने का फैसला लिया है. हालांकि, एम्स की इमरजेंसी सहित लेबर रूम और आईसीयू सेवाएं बाधित नहीं होंगी.

केन्द्र के अस्पतालों में सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग महिला कॉलेज अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, संजय गाँधी मेमोरियल अस्पताल और दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के डॉक्टरों ने भी हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.

रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने बताया, “हम इंसान की सेवा को हमेशा प्राथमिकता देते हैं लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने इमरजेंसी बैठक के बाद हड़ताल पर जाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि 16 जून की रात तकरीबन डेढ़ बजे दिन एम्स स्थित जयप्रकाश नारायण सर्वोच्च ट्रॉमा सेंटर के अन्दर एक जूनियर डॉक्टर के ऊपर मरीज के रिश्तेदारों द्वारा मारपीट करने की खबर आई थी, जबकि वो डाक्टर अपना काम पूरी निष्ठा से कर रहा था.”

रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल प्रशासन से जूनियर डॉक्टरों द्वारा की जा रही मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है और यह भी कहा है कि हम पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के साथ हैं.

देश के अंदर कई जगहों पर डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. जिसमें गुजरात,उत्तर प्रदेश,राजस्थान और त्रिपुरा जैसे राज्य शामिल हैं. तमिलनाडु के डॉक्टरों ने भी हाथ में काली पट्टी बांधकर हड़ताल का समर्थन किया है.

रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया जाए, हम दहशत में रहकर काम कैसे कर पाऐंगे?

तकरीबन पाँच लाख से ज्यादा डॉक्टर हड़ताल पर हैं. पश्चिम बंगाल के अन्दर जूनियर डॉक्टर सात दिनों से हड़ताल पर डटे हुए हैं. जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने 15 जून को ही डॉक्टरों की मांगे मान ली थीं. वहीं डॉक्टरों के ऊपर काम ना करने के लिए लगाया गया आवश्यक सेवा रखरखाव कानून (एस्मा) भी ममता बनर्जी ने हटा दिया था.

इसी बीच हावड़ा राज्य सचिवालय से सटे सभागार में दिन के आखिर में आंदोलनकारी डॉक्टरों के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक कर मामलों का हल निकालने की बात कही गई है.


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