फेक न्यूज से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं भारतीय


around 86 percent internet users were duped by fake news says a survey

 

भारत में इंटरनेट यूजर्स की ऑनलाइन माध्यमों पर फैलने वाली झूठी खबर (फेक न्यूज) से प्रभावित होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है. ये बात माइक्रोसॉफ्ट के ग्लोबल सर्वे में सामने आई है. सर्वे के मुताबिक, हमारे सामाजिक दायरों में फेक न्यूज से प्रभावित होने का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है.

माइक्रोसॉफ्ट ने ये सर्वे 22 देशों में किया है. सर्वे के मुताबिक, विश्व भर में औसतन 57 फीसदी लोग झूठी खबरों के प्रभाव में आए हैं, जबकि भारत में झूठी खबरों से प्रभावित होने वाले लोगों का औसत 64 फीसदी है.

इस सर्वे के निष्कर्ष भारत में आम चुनाव से कुछ महीने पहले ही सामने आए हैं.

मंगलवार को माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि वैश्विक औसत के हिसाब से भारत में इंटरनेट से मिली झूठी खबरों को रिपोर्ट करने वालों की संख्या 54 फीसदी है. वहीं, इस तरह की खबर फैलाने वाले 42 फीसदी है.

सर्वे में दिलचस्प बात ये पता चली है कि झूठी खबर फैलाने के मामले में दोस्त और परिवार आगे हैं. दोस्त और परिवार के सदस्यों से झूठी खबरें फैलने के मामले में 9 फीसदी की वृद्धि हुई है. पहले ये आंकड़ा 20 फीसदी था, लेकिन अब ये बढ़कर 29 फीसदी हो गया है.

सर्वेक्षण के मुताबिक, ऑनलाइन जोखिम की जद में आकर जो लोग संकट में पड़ रहे हैं, उनकी संख्या भी भारत में वैश्विक औसत से ज्यादा है. जहां वैश्विक औसत 28 फीसदी है, वहीं भारत में ये दर 52 फीसदी पाई गई है.

सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में ऑनलाइन जोखिमों में वृद्धि हुई है. और इसके खिलाफ बहुत कम सकारात्मक कार्रवाई की गई है.

सर्वेक्षण का निष्कर्ष है कि भारतीय परिणाम दुनिया भर में मिले रुझानों से मेल खाते हैं. पिछले साल हुए अध्ययन के मुकाबले इस साल ऑनलाइन जोखिमों के चलते लोग तनाव और नींद की समस्या से अधिक जूझे हैं.

ऑनलाइन जोखिम की समस्या के खिलाफ सकारात्मक कदम उठाने के मामले में भारत काफी पीछे है.

भारतीय सोशल मीडिया पर किसी से बात करने से पहले या किसी से सहमत नहीं होने पर उन्हें जवाब देने से पहले नहीं सोचते हैं.

किशोर वर्ग ऑनलाइन जोखिमों के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. वे समस्या का समाधान भी ऑनलाइन ही मांगते हैं.


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