जून में अब तक 43 फीसदी कम बारिश


extreme rain in august at five years high

 

जून में अब तक सामान्य से 43 फीसदी तक कम बारिश हुई है. दक्षिणी-पश्चिम मॉनसून ने केरल तट पर करीबन 8 दिनों के देरी से दस्तक दी जो अब धीमी गति से मैदानी इलाकों की ओर बढ़ रहा है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का आधे से ज्यादा क्षेत्र पानी की जरूरत या सिंचाई के लिए मॉनसून पर निर्भर करता है. मौसम वैज्ञानिकों ने संभावना जताई है कि जून और जुलाई में सामान्य से कम वर्षा रह सकती है. ऐसे में सूखा प्रभावित राज्यों में स्थितियां अधिक चिंतजनक हो सकती हैं.

मॉनसून की गति चक्रवात वायु की वजह से भी धीमी पड़ गई है.

मौसम विज्ञान विभाग से मिल रही ताजा जानकारी के मुताबिक मॉनसून अबतक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा नहीं पहुंचा है. विभाग ने बताया कि केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के लगभग 16 उप-प्रभागों में अब तक सामान्य से 20 फीसदी तक कम बारिश दर्ज की गई है.

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 14 उप-प्रभागों 60 फीसदी तक कम बारिश दर्ज की गई है. जबकि केवल कर्नाटक, लक्षद्वीप, सौराष्ट्र और कच्छ के चार उप-प्रभागों में 16 जून तक सामान्य बारिश देखी गई है.

इस सीजन में सभी राज्यों और केंद्रीय शासित प्रदेशों में से केवल दिल्ली में ही बारिश नहीं हुई है. देश में अब तक 39.7  मिलीमीटर (एमएम) बारिश हुई है. जबकि इस समय सामान्य बारिश 70.2 एमएम है.

भारतीय कृषि क्षेत्र और अर्थव्यवस्था में मॉनसून अहम भूमिका निभाता है. मॉनसून पर निर्भर किसान को इससे कठिनाइयों का सामना करता पड़ सकता है क्योंकि बारिश में देरी के चलते खरीफ फसलों की बुआई में देरी होगी.

एक तरफ जहां बारिश में कमी देखी जा रही है वहीं दूसरी ओर देश में केंद्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) के अंतर्गत आने वाले 91 जलाशयों के जल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है. सीडब्लूसी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक इन जलाशयों में जल स्तर 18 फीसदी तक कम हुआ है. फिलहाल इनमें 29.189 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी है. इन जलाशयों की क्षमता 161.993 बिलियन क्यूबिक मीटर है.

पश्चिमी क्षेत्रों में स्थितियां ज्यादा परेशान करने वाली हैं. गुजरात और महाराष्ट्र के सीडब्लूसी नियंत्रित 37 जलाशयों में कुल क्षमता का केवल 10 फीसदी पानी ही बचा हुआ है. दक्षिण के 31 जलाशयों में भी बीते साल की तुलना में इस साल कम जल स्तर दर्ज किया गया है.

एल नीनो की वजह से मॉनसून पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इस बात की काफी संभावनाएं हैं कि जुलाई में भी सामान्य से कम बारिश रहे. विभाग के मुताबिक लंबे समय से जुलाई में औसतन 89 सेंटीमीटर बारिश होती रही है. इस बार यह सामान्य से 5 फीसदी कम रह सकती है. जुलाई में मॉनसून लगभग पूरे भारत में पहुंच जाता है.


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