साठ-गांठ कर कीमतें बढ़ाने के लिए सात भारतीय दवा कंपनियों पर अमेरिका में मुकदमा


slowdown in indian pharmaceutical market is lowest in last seven quarters

 

सात भारतीय दवा कंपनियों पर अमेरिका ने मुकदमा किया है. जानी-मानी दवा कंपनी सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज, डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज लिमिटेड और उनके पांच अधिकारियों के नाम भी मुकदमे में शामिल हैं.

इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने इजराइल की दवा कंपनी टेवा फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ साठ-गांठ कर दवाइयों के दाम बढ़ाने का काम किया .

10 मई को अमेरिका के 40 राज्यों ने इन कंपनियों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दायर किया था. यह मुकदमा कंपनियों की पांच सालों तक चली जांच-पड़ताल के बाद दायर किया गया था.

अन्य जेनेरिक दवा बनाने वाली भारतीय कंपनियों के नाम अरबिंदो फार्मा लिमिटेड, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल लिमिटेड, ल्युपिन लिमिटेड, वॉकहार्ड लिमिटेड और जाइडस फार्मा हैं.

मुकदमा में कुल 20 दवा बनाने वाली कंपनियों पर 100 से ज्यादा दवाओं की कीमत बढ़ाने की साजिश का आरोप लगाया गया है. इस साजिश की शिकायत 2016 में की गई थी.

इस मामले में राज्य के अलावा न्याय विभाग का प्रतिपक्षी मंडल भी एक आपराधिक जांच कर रहा है.
सरकार ने दावा किया है कि इन दवा कंपनियों ने कीमत पर प्रतिस्पर्धा करने के बजाय सांठ-गांठ कर दवा की कीमत तय की. इस तरह उन्होंने दवा बाजार को अपने अनुकूल बनाने की साजिश की.

शिकायत में कहा गया है कि इन अधिकारियों ने फोन पर बात और मैसेज करने के अलावा अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए डिनर पार्टी, कॉक्टेल पार्टी, गॉल्फ खेलने जैसे माध्यम का प्रयोग कर अपनी बातचीत बढ़ाई.

बीते सोमवार को मुम्बई में इसका प्रभाव भारतीय फार्मा के स्टॉक पर भी पड़ा. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का स्वास्थ्य सूचकांक 3.53 फीसदी के साथ 13,310.47 अंक लुढ़क गया. वहीं सन फार्मास्युटिकल्स के शेयरों ने इंट्राडे ट्रेडिंग में 21 फीसदी की गिरावट दर्ज की. इसके अलावा डॉ. रेड्डी के शेयर 2.5 फीसदी के साथ गिरकर 2,804.95 पर आ गए.

सन फार्मास्यूटिकल के प्रवक्ता ने कहा, “हमें यकीन है कि मुकदमें में दायर सभी आरोप बेबुनियाद हैं  और हम इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे.”

अमेरिका ने इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता इजराइली दवा कंपनी टेवा को माना है. 2013 से 2015 के बीच के 19 महीनों में टेवा ने 112 जेनेरिक दवाइयों की कीमत बढ़ाई थी. इसके अलावा कंपनी ने कम से कम 86 दवाइयों के लिए अपने प्रतियोगियों के साथ सांठ-गांठ की थी. इन दवाईयों की कीमत 1000 फीसदी तक बढ़ी है.

टेवा की उपाध्यक्ष केली डॉगर्टि ने एक बयान में कहा, “इस नई शिकायत और मुकदमें में सारे आरोप महज आरोप हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं.” इस मामले में अमेरिकी राज्य इन कंपनियों से दंड की मांग कर रहे हैं.

इसके तहत कंपनियों पर कम से कम 200 करोड़ डॉलर से ज्यादा का जुर्माना लगाया जा सकता है.
यह टेवा कंपनी के लिए किसी झटके से कम नहीं है.

कनेक्टिकट के अटॉर्नी जनरल विलियम टोंग ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, “हमारे पास पक्का  सबूत है कि जेनेरिक दवा उद्योग ने अमेरिकी लोगों के साथ एक अरब डॉलर की धोखाधड़ी की है. हम सब सोचते थे कि हमारा हेल्थकेयर और जेनेरिक दवाइयों की कीमत इस देश में बहुत मंहगी है – यही इसका एक बड़ा कारण है.”


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