‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का वाम दलों ने किया विरोध


Left parties of 'one nation, one election' protested

 

देश में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल ज्यादातर दलों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के विचार का समर्थन किया है. हालांकि वाम दलों और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे देश के संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया.

सूत्रों के मुताबिक माकपा, भाकपा और एआईएमआईएम ने इसका विरोध किया और कहा कि इससे देश के संघीय ढांचे को नुकसान होगा.

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के केंद्र सरकार के विचार को असंवैधानिक तथा संघीय व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया कि यह देश में संसदीय प्रणाली की जगह पिछले दरवाजे से राष्ट्रपति शासन लाने की कोशिश है.

हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ज्यादातर सदस्यों ने एक देश, एक चुनाव के मुद्दे पर समर्थन दिया. वहीं, भाकपा और माकपा ने थोड़ी बहुत मत-भिन्नता जाहिर की. उनका कहना था कि यह कैसे होगा, हालांकि उन्होंने एक राष्ट्र, एक चुनाव का सीधे तौर पर विरोध नहीं किया.

सूत्रों ने बताया कि राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सरकार को इस बारे में सभी पक्षों से बात करनी चाहिए और यह बताना चाहिए कि इसे कैसे लागू किया जाएगा.

बैठक के बाद शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव पर प्रधानमंत्री जी का एजेंडा जनमत तैयार करने का है, थोपने का नहीं है.’’

लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने कहा कि ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इसका समर्थन किया. एक या दो लोगों ने विरोध किया. प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस पर सभी से बात की जाएगी.

अपना दल (एस) के अध्यक्ष आशीष पटेल ने देश में एकसाथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में इस विचार के अमल में आने के बाद में देश में बहुत सकारात्मक बदलाव होगा.

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने देश में जल संरक्षण को एक आंदोलन का रूप देने की पैरवी की है.

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पांच विषयों- संसद में कामकाज को बढ़ाना, एक राष्ट्र-एक चुनाव, आजादी के 75वें वर्ष में नए भारत का निर्माण, गांधी जी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजन, आकांक्षी जिलों का विकास- पर चर्चा के लिए 40 दलों के प्रमुखों को आमंत्रित किया था, हालांकि इसमें 21 राजनीतिक दल शामिल हुए और तीन दलों आम आदमी पार्टी, शिवसेना और अन्नाद्रमुक ने बैठक में अपना लिखित पक्ष रखा.

बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा, बसपा और तेलुगू देशम पार्टी सहित 16 पार्टियां शामिल नहीं हुईं. हालांकि, राकांपा ने बैठक में हिस्सा लिया.


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