मध्य प्रदेश: ई-टेंडर घोटाले में बीजेपी के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्र के दो निजी सचिव गिरफ्तार


Kashmir: Security forces detain Greater Kashmir journalist

 

मध्य प्रदेश पुलिस आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने बीजेपी शासन के दौरान हुए कथित ई-टेंडर घोटाले की जांच के सिलसिले में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्र के दो पूर्व निजी सचिवों को गिरफ्तार किया है.

ईओडब्ल्यू की टीम ने 27 जुलाई की सुबह इन दो अधिकारियों के ठिकानों की तलाशी भी ली थी.

पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्र ने कमलनाथ सरकार को सबूतों के साथ सामने आने की चुनौती देते हुए कहा कि मामले में केवल छोटी मछलियों को निशाना बनाया जा रहा है.

ईओडब्ल्यू के महानिदेशक केएन तिवारी ने कहा कि दो सरकारी अधिकारियों वीरेंद्र पांडे और नीलेश अवस्थी (पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्र के दोनों पूर्व सचिव) को ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में अनियमितता के मामले में 26 जुलाई की शाम गिरफ्तार किया गया.

उन्होंने बताया, “हमने 26 जुलाई को उनके आवासों की तलाशी भी ली और कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं.”

वहीं, ईओडब्ल्यू के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तारी के बाद दोनों अधिकारियों ने बेचैनी की शिकायत की इस पर दोनों को यहां जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है और इस साल एफआईआर दर्ज होने के बाद ईओडब्ल्यू द्वारा अवस्थी और पांडे से कई बार पूछताछ की जा चुकी है .

ईओडब्ल्यू की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया करते हुए पूर्व मंत्री ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई करार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘ जब ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में छेड़छाड़ की बात सामने आई, तो हमने जांच का आदेश दिया था. इसके विपरीत वर्तमान सरकार ने उन एजेंसियों को ठेके दिए हैं जिनके खिलाफ पिछली सरकार ने इस अनियमितताओं में जांच का आदेश दिया था.’’

मिश्रा ने कहा, ‘‘मैं कमलनाथ को चुनौती देता हूं कि वे तथ्यों और प्रमाणों के साथ आगे आएं. जिसमें हमें छेड़छाड़ की शिकायतें मिलीं थीं वे सभी टेंडर हमने रद्द कर दिये थे. न तो काम पूरा हुआ, न ही उन्हें कोई भुगतान किया गया.”

उन्होंने कहा कि ई टेंडर को मंजूरी देने वाली समितियों में प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होते हैं. यह जानने के बावजूद सरकार छोटी मछलियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार अपना यह भ्रम दूर कर ले कि इससे हमारा कोई अभियान प्रभावित होगा.

मालूम हो कि इस साल 10 अप्रैल को ईओडब्ल्यू ने 3,000 करोड़ रुपये के ई-टेंडर घोटाले में सात कंपनियों, सरकारी विभागों और अन्य (अज्ञात) ‘राजनेताओं’ सहित अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे.


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