CJI यौन उत्पीड़न मामला: महिला पर ठगी का आरोप लगाने वाला लापता


More than one thousand cases pending in courts for 50 years: CJI

 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला पर जिस व्यक्ति ने ठगी का आरोप लगाया था, वो अपने हरियाणा स्थित घर से लापता है.

सुप्रीम कोर्ट में काम करने वाली पूर्व कर्मचारी पर एक व्यक्ति ने नौकरी दिलाने के बहाने 50,000 रुपये ठगने का आरोप लगाया था. पुलिस के अनुसार वह व्यक्ति अप्रैल के महीने से हरियाणा स्थित अपने घर से लापता है.

आरोप लगने के बाद महिला ने शपथ पत्र में कहा था कि उनपर लगाया धोखाधड़ी का आरोप गलत है. उन्होंने दावा किया था कि उन्हें चीफ जस्टिस के खिलाफ शिकायत करने के बदले प्रताड़ित किया जा रहा है.

19 जुलाई को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष खुराना ने शिकायतकर्ता को पेश करने का आदेश दिया था. लेकिन, 31 वर्षीय शिकायतकर्ता नवीन कुमार अपने हरियाणा स्थित निवास में नहीं मिले थे.

इससे पहले दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने महिला को 12 मार्च को मिली बेल खारिज करने की मांग की थी. क्योंकि शिकायतकर्ता ने कथित रूप से आरोप लगाया था कि महिला और उनके पति मिलकर उन्हें धमकी दे रहे हैं.

अखबार द इंडियन एक्सप्रेस मामले की पड़ताल करने अप्रैल में नवीन के घर झझर गया था. नवीन की 50 वर्षीय मां ने बताया था कि वह 20 अप्रैल सुबह 7 बजे चंडीगढ़ के लिए निकला था. और तबसे उसका फोन भी बंद है. उन्होंने कहा, “मैंने नवीन को केस दर्ज करने के लिए मना किया था क्योंकि बड़े और शक्तिशाली लोगों से लड़ना संभव नहीं है.”

नवीन के परिजनों के अनुसार वह झझर में एचएल सिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में चौकीदार का काम करता था. इस काम के उसे 15,000 रुपये मासिक वेतन मिलता था.

बुधवार को नवीन को फोन कॉल किया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

24 अप्रैल को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट खुराना ने नोटिस जारी कर नवीन कुमार को 23 मई और 19 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित होने को कहा था. लेकिन जांच अधिकारी मुकेश अंतिल ने कोर्ट से कहा कि शिकायतकर्ता के लिए जारी नोटिस पर कार्यवाई नहीं हो पाई क्योंकि वह अपने घर पर कभी मिला ही नहीं.

ऑफिसर ने कोर्ट को जानकारी देते हुए कहा, “शिकायतकर्ता के लिए जारी किए गए नोटिस पर कार्यवाई नहीं की जा सकी क्योंकि वह अपने वर्तमान पते पर नहीं मिल पाया था. जांच अधिकारी ने कहा असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के जरिए नोटिस पर कार्रवाई करने की कोशिश की गई थी.”

इसके बाद कोर्ट ने नया नोटिस जारी करते हुए शिकायतकर्ता को 6 सितंबर को पेश होने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जांच अधिकारी अगली तारीख तक शिकायतकर्ता को पेश करें.

इस आदेश पर महिला की ओर से वकील वीके ओहरी ने आपत्ती जताई. उन्होंने कहा कि पुलिस की याचिका को खारिज किया जाए और उनकी मुवक्किल के खिलाफ यह केस बंद किया जाए.

ओहरी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जज ने कहा कि पुलिस को शिकायतकर्ता के लिए जारी नोटिस पर कार्यवाई कर करने का आखिरी मौका दिया गया है.”

कानून के मुताबिक यदि जांच एजेंसी कोई भी आवेदन दे रही है या शामिल किसी भी पक्ष के खिलाफ कोई अदालती आदेश प्राप्त करना चाहती है, तो शिकायतकर्ता और अभियुक्तों को तथ्य के बारे में बताना होगा.

कुमार ने 3 मार्च को सेंट्रल दिल्ली के तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.

जांच के दौरान महिला को पुलिस ने 10 मार्च को गिरफ्तार किया था. 11 मार्च को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. 12 मार्च को उन्हें जमानत मिल गई थी.

14 मार्च को जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी. शिकायतकर्ता ने क्राइम ब्रांच के डीसीपी को ऐप्लिकेशन लिखा था जिसमें उसने महिला और उनके संबंधियों पर कथित रूप से उसे धमकाने का आरोप लगाया था.

इस मामले में महिला ने अपने शपथ पत्र में कहा था कि उनको और उनके परिवार को तब से प्रताड़ित किया जा रहा है जब से उन्होंने सीजेआई द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने की बात कही है.


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