केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, लेटरल एंट्री में नहीं होगा आरक्षण
लेटरल एंट्री में आरक्षण के मुद्दे पर केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्य सभा को बताया है कि लेटरल एंट्री में आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि लेटरल एंट्री में सिंगल-कैडर नियुक्तियां की जा रही हैं, जिन पर आरक्षण का नियम लागू नहीं होता है.
आरक्षण की नीति के तहत सरकारी नौकरियों में 49.5 फीसदी पद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होते हैं.
सरकार ने 13 अप्रैल को नौ संयुक्त सचिव के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था.
जिसके बाद संयुक्त सचिव के पद पर यूपीएससी के सुझाव के बाद सरकार ने नौ लोगों का चयन किया है. पद के लिए चुने गए अंबर दूबे, राजीव सक्सेना, सुजीत कुमार बाजपेयी, दिनेश दयानंद जगदाले, काकोली घोष, भूषण कुमार, अरुण गोयल, सौरभ मिश्रा और सुमन प्रसाद सिंह जल्द ही अपना पद ग्रहण कर सकते हैं.
सरकार की ओर से ये भर्तियां अलग-अलग मंत्रालयों में की गई हैं. अगर ये भर्तियां नौ सीटों के समूह में की जाती तो आरक्षण के तहत दो सीटें ओबीसी, वहीं एक-एक सीट एससी और एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होतीं.
राज्य सभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रत्येक मंत्रालय में एक-एक पद पर लेटरल एंट्री के तहत नियुक्तियां की गई हैं. सरकार की ओर से जारी विज्ञापन में स्पष्ट किया गया था कि किस मंत्रालय में कौन से पद के लिए आवेदन मांगे गए हैं.
सिंह ने कहा, “..उदाहरण स्वरूप किसी मंत्रालय में एक खाली पद पर नियुक्ति की जा रही है तो वहां आरक्षण का नियम लागू नहीं होगा. इस संबंध में जरूरी छानबीन की जा चुकी है. मौजूदा सरकार में उच्च पदों पर अब तक केवल छह या सात पदों पर लेटरल एंट्री के तहत नियुक्तियां की गई हैं, जबकि यूपीए सरकार में करीबन 20 पदों पर लेटरल एंट्री के तहत नियुक्तियां हुई थीं.”
बीते हफ्ते कुछ सांसदों ने सवाल उठाए थे कि लेटरल एंट्री के तहत हो रही नियुक्तियों में आरक्षण को नहीं अपनाया जा रहा है. सिंह का कहना है कि नियुक्तियों में काफी कड़े मानदण्ड अपनाए जा रहे हैं, उम्मीदवार की योग्यता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा रहा है.
सिंह ने बताया कि संयुक्त सचिव के पद पर यूपीएससी की ओर से सुझाए गए निजी क्षेत्र के नौ उम्मीदवारों की नियुक्ति अभी नहीं हुई है.