मुस्लिम नेताओं ने मोदी को पत्र लिख ‘सबका विश्वास’ वादे की याद दिलाई


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम चुनावों में जीत के बाद एनडीए गठबंधन की बैठक में कहा था कि उनकी सरकार समाज के हर तबके का विश्वास जीतने की कोशिश करेगी. अब मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने मोदी से उनकी कथनी को साकार करने की मांग की है.

प्रधानमंत्री को लिखे गए एक पत्र में इन नेताओं ने उनसे मुस्लिम समुदाय में शिक्षा, नौकरी और अन्य मुद्दे जिनसे वे समुदाय का विश्वास जीत सकें सक्रियता दिखाने का अनुरोध किया है.

इस पत्र पर मुस्लिम समुदाय के अलग-अलग अंगों के 20 नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं. इनमें जमात-उल्मा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व प्रमुख कमाल फारुकी, डॉक्टर फकरुद्दीन मोहम्मद जो कि मेस्को समूह हैदराबाद से संबद्ध हैं और पूर्व आयकर आयुक्त कैसर शामिन शामिल हैं.

ये पत्र मोदी को उनकी ‘सबका विश्वास’ टिप्पणी की याद दिलाता है. इसमें 1857 की क्रांति का भी जिक्र किया गया है, इसे आजादी की पहली लड़ाई बताते हुए अखंड भारत की भावना का जिक्र किया गया है.

दो पेज के इस पत्र में आगे कहा गया है कि समुदाय के नेता इसके शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और खोए विश्वास को लेकर चिंतित हैं.

इस पत्र में ‘भरोसे का निर्माण’ शब्द पर बार-बार जोर दिया गया है. पत्र में कहा गया है, “कानून और संविधान के अंतर्गत उचित कदम उठाकर भरोसे का निर्माण किया जाना चाहिए. बेगुनाह लोगों को यकीन दिलाया जाना चाहिए कि दुष्ट प्रकृति के लोगों को खुला नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि निश्चित ही सजा दी जाएगी.”

समाचार पत्र दि हिंदू से बात करते हुए फारुकी ने कहा कि इस पत्र के द्वारा नेताओं ने प्रधानमंत्री और उनकी नई सरकार को उनके कथन पर आगे काम करने को कहा है. उन्होंने कहा, “हमने जिन मुद्दों को उठाया है वे सभी हमारे समुदाय की प्रमुख चिंताएं हैं.”

फारुकी ने कहा कि हमारा ध्यान खासकर विश्वास जीतने की बात पर है. उन्होंने कहा कि सबके विकास के लिए नागरिकों की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है.

मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुई जिससे इस समुदाय में डर का माहौल बना. गोरक्षा को लेकर भी अल्पसंख्यकों को परेशान करने की खबरें लगातार आती रही थीं.


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