SC ने हरेन पांड्या हत्याकांड में 12 व्यक्तियों को दोषी करार दिया


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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या के 16 साल पुराने मामले में 12 व्यक्तियों को दोषी ठहराया है. हरेन पांड्या की हत्या मार्च 2003 में अहमदाबाद में गोली मार कर कर दी गई थी.

जस्टिस अरूण मिश्रा और विनीत सरन की पीठ ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और गुजरात सरकार की अपील पर यह फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने इस हत्याकांड में इन सभी दोषियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था.

निचली अदालत ने आरोपी व्यक्तियों को हत्या के अपराध का दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी. शीर्ष अदालत ने इन अभियुक्तों को हत्या के आरोप से बरी करने के हाई कोर्ट के 29 अगस्त, 2011 के निर्णय को निरस्त कर दिया है.

हाई कोर्ट ने इस हत्याकांड में 12 व्यक्तियों को हत्या के आरोपों से बरी करते हुए इन सभी को आपराधिक साजिश रचने, हत्या का प्रयास करने और आतंकवाद रोकथाम कानून (पोटा) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था.

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की निगरानी में इस हत्याकांड की नए सिरे से जांच कराने के लिए गैर सरकारी संगठन ‘सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस’ की जनहित याचिका खारिज करते हुए उस पर 50,000 रूपए का जुर्माना भी लगाया.

पीठ ने कहा कि इस मामले में अब किसी और याचिका पर विचार नहीं किया जायेगा.

हरेन पांड्या गुजरात में नरेन्द्र मोदी सरकार में गृह मंत्री थे. हरेन पांड्या की 26 मार्च, 2003 को अहमदाबाद में लॉ गार्डन के पास सुबह की सैर के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

सीबीआई के अनुसार गुजरात में 2002 में हुये सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए पांड्या की हत्या की गयी थी. इस हत्याकांड की सुनवाई करने वाली विशेष पोटा अदालत ने मुख्य आरोपी असगर अली की गवाही के आधार पर आरोपियों को बड़ी साजिश के अपराध में दोषी ठहरायाा था. असगर अली ने गुजरात दंगों का प्रतिशोध लेने के लिये विश्व हिन्दू परिषद के प्रमुख नेताओं और दूसरे हिन्दू नेताओं पर हमले करने की योजना बनाई गई थी.

अदालत ने अली के साथ ही मोहम्मद रऊफ, मोहम्मद परवेज अब्दुल कयूम शेख, परवेज खान पठान उर्फ अतहर परवेज, मोहम्मद फारूक उर्फ शाहनवाज गांधी, कलीम अहमद उर्फ कलीमुल्ला, रेहान पूठावाला, मोहम्मद रियाज सरेसवाला, अनीज माचिसवाला, मोहम्मद यूनुस सरेसवाला और मोहम्मद सैफुद्दीन को दोषी ठहराया था.

सीबीआई के अनुसार पांड्या की हत्या करने से पहले दोषियों ने 11 मार्च, 2003 को विहिप के स्थानीय नेता जगदीश तिवारी की हत्या का प्रयास किया था. जांच ब्यूरो ने दावा किया था कि दोनों घटनाएं गोधरा दंगों के बाद जनता में आतंक पैदा करने के लिए एक ही साजिश का नतीजा थी.

जांच ब्यूरो ने दावा किया था कि अपराधियों को फरार आरोपी रसूल पर्ती और मुफ्ती सूफियान पतंगिया ने गैरकानूनी तरीके से पाकिस्तान भेजा और वहां पड़ोसी देश की खुफिया एजेन्सी आईएसआई के इशारे पर उन्हें प्रशिक्षित किया गया था.

इस मामले की पहले गुजरात पुलिस जांच कर रही थी लेकिन बाद में इसे केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया गया था.


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