छोटे उत्पादक बिना प्रमाणीकरण बेच सकेंगे ऑर्गेनिक फूड
खाद्य सुरक्षा नियामक भारतीय खाघ संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 12 लाख रुपये का वार्षिक कारोबार करने वाले छोटे ऑर्गेनिक फूड उत्पादकों को अप्रैल 2020 तक बगैर प्रमाणीकरण के अपने उत्पाद सीधा ग्राहकों को बेचने की अनुमति दी है.
एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है. हालांकि ये उत्पादक अपने उत्पादों पर ‘जैविक भारत’ का ‘लोगो’ का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे.
जैविक भारत का लोगो गैर-जैविक उत्पादों से जैविक उत्पादों को अलग करने का पहचान चिह्न है.
इसी तरह की छूट 50 लाख रुपये के सालाना कारोबार वाले ‘एग्रीगेटर्स’ (समूहक कंपनी) को भी दी गई है. हालांकि, ऑर्गेनिक फूड खुदरा कंपनियों को प्रमाणीकरण मानदंडों का पालन करना होगा.
वर्ष 2017 के जैविक कानून के तहत, उपभोक्ता को सीधे तौर पर जैविक उत्पादों की बिक्री करने की अनुमति केवल राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) और भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस) भारत के प्रमाणन के साथ की जा सकती थी.
अपने ताजा आदेश में एफएसएसएआई ने कहा कि छोटे उत्पादकों सहित ऑर्गेनिक फूड व्यवसाय परिचालकों द्वारा कानून के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों के बारे में कई ज्ञापनों की जाँच करने के बाद उक्त मानदंडों में ढील दी गई है.
इसमें कहा गया है, “हमारी प्रमुख चुनौतियों में से एक यह है कि देश में बड़ी संख्या में निर्माता और निर्माता संगठन हैं, जो प्रमाणन की दो में से किसी भी प्रणाली के तहत प्रमाणित नहीं हैं. मौजूदा समय में पीजीएस-इंडिया के सरलीकरण के लिए प्रयास चल रहे हैं ताकि इसे छोटे उत्पादक के अनुकूल बनाया जा सके.”
नियामक ने कहा कि छोटे उत्पादकों में विश्वास पैदा करने के लिए इन नियमों को ‘अनुकूल नियमों’ के रूप में देखा जा सकता है. हालांकि अप्रैल 2020 तक इसके कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण के दौरान इन नियमों का उपयोग उत्पादकों विशेषकर छोटे मूल उत्पादकों और निर्माता संगठनों को दंडित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.’’
एफएसएसएआई ने कहा कि छोटे उत्पादकों और एग्रीगेटरों के कारोबार आकार के लिए स्व-प्रमाणन को स्वीकार किया जाएगा.
हालांकि, राज्य खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को नियमों के अनुसार दूषित और कीटनाशक अवशेषों की सीमा का पालन किए जाने की निगरानी करने के लिए कहा गया है. उन्हें इस प्रावधान के किसी भी तरह के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए भी कहा गया है.