गंगा सफाई पर स्वामी आत्मबोधानंद ने 194 दिनों बाद खोला अनशन


Swami Aatmabodhanand breaks fast after written assurances from National Mission for Clean Ganga

  ANI

गंगा को बचाने के प्रण के साथ 194 दिनों से अनशन पर बैठे स्वामी आत्मबोधानंद ने प्रशासन से मिले आश्वासन के बाद अपना अनशन खोल लिया है. गंगा को अपना जीवन समर्पित करने वाले प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की मौत के 13 दिन बाद अनशन पर बैठे आत्मबोधानंद ने प्रशासन के सामने गंगा में बांध और खनन से जुड़ी अपनी आपत्तियां रखी थीं.

कल हरिद्वार के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) कुसुम चौहान और दूसरे अधिकारियों की मौजूदगी में उन्होंने अपना अंशन खोला. इस मौके पर आत्मबोधानंद ने बोला कि “राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के निदेशक राजीव रंजन 25 अप्रैल को मुझसे मिले थे. आज उन्होंने मुझे लिखत में आश्वासन दिया है कि वो बांध और खनन के मुद्दों पर हुई हमारी बात पर गौर करेंगे और इसे लेकर कदम उठाएंगे.”

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आत्मबोधानंद ने कहा कि ये सरकार और एनएमसीजी की ओर से लिया गया बड़ा कदम है.

बीते साल गंगा बचाने के मकसद से 22 जून को अनशन पर बैठे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की सरकार की अनदेखी के चलते मौत हो गई थी. स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से जाने-जाने वाले प्रोफेसर अग्रवाल की 112 दिनों के अनशन के बाद 11 अक्टूबर को मौत हुई थी.

उन्होंने केंद्र सरकार के सामने गंगा सुरक्षा एक्ट 2012 समेत चार मांगे रखी थी.

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पूरा जीवन गंगा को समर्पित करने वाले प्रोफेसर अग्रवाल ने अनशन के दौरान सभी संबंधित अधिकारियों और प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर कई पत्र लिखें. लेकिन सरकार और प्रशासन उनके अनशन और मांगों को लगातार अनदेखा करता रहा. जिसके बाद 10 अक्टूबर से उन्होंने पानी भी पीना छोड़ दिया.

इसके बाद हरिद्वार प्रशासन की नींद खुली और उसने प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को मातृ सदन से ऋषिकेश के एम्स में भर्ती करवा दिया. इससे पहले की उन्हें इजाल के लिए दिल्ली लाया जाता 11 अक्टूबर की दोपहर उनकी मौत हो गई.


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