चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में राज्यों के कर राजस्व में गिरावट


due to recession and corporate tax cut direct tax collection is likely to fall

 

राज्यों को कर राजस्व से होने वाली कमाई में बीते पांच वर्षों में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है. 2019-20 वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में 21 राज्यों के कर राजस्व में बीते साल की तुलना में 2.3 फीसदी की गिरावट आई है.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की वेबसाइट से मिले आंकड़ों के आधार पर factly.in लिखता है कि बीते वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में कर राजस्व 5.04 लाख करोड़ रुपये था, जो इस साल घटकर 4.92 लाख करोड़ रुपये रह गया.

आंकड़े उपलब्ध नहीं होने के चलते अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गोवा और दिल्ली इस आकलन में शामिल नहीं हैं. आकलन में 21 राज्यों द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा को ही शामिल किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक बीते साल की तुलना में शुरुआती चार महीनों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, गुजरात का कर राजस्व घटा है. आंध्र प्रदेश के कर राजस्व में सबसे अधिक कमी आई है.

2018-19 के शुरुआती चार महीनों में आंध्र प्रदेश को कर राजस्व से 26,114 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जो इस बार घटकर 15,017 करोड़ रह गई. बीते वर्ष की तुलना में राज्य के कर राजस्व में 42.7 फीसदी की कमी आई है.

कर राजस्व से सबसे ज्यादा कमाई करने वाले गुजरात (8 फीसदी की गिरावट) और कर्नाटक (12 फीसदी की गिरावट) की कमाई में भी इस बार गिरावट देखी गई.

बीते साल की तुलना में पंजाब के कर राजस्व में 1,636 करोड़ रुपये और केरल के कर राजस्व में 1,581 करोड़ रुपये की कमी आई है. हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु के कर राजस्व में भी गिरावट दर्ज की गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक कुल 21 राज्यों में से 13 राज्यों के कर राजस्व में कमी आई है. वहीं जिन राज्यों के कर राजस्व में सकारात्मक वृद्धि हुई, उनके भी संचयी राजस्व में 2019-20 में गिरावट देखी जा सकती है.

2019-20 और 2018-19 में महीने दर महीने के आंकड़ों का विश्लेष्ण करें तो कर राजस्व में और अधिक गिरावट देखने को मिलती है. आंकड़ों के मुताबिक 2019 में जून से जुलाई महीने के बीच कर राजस्व में अधिक गिरावट देखने को मिली.

कर राजस्व में गिरावट का सीधा प्रभाव सरकार के खर्चों पर होगा जिसका प्रभाव अंततः अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. ऐसे में कर राजस्व में कमी अर्थव्यवस्था में मंदी का सीधा संकेतक है.


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