हजारों डॉक्टरों-छात्रों ने एनएमसी बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया


rajyasabha passes the national medical commission bill

 

नेशनल कमीशन बिल के विरोध में देश भर से जमा हुए पांच हजार से ज्यादा डॉक्टरों ने दिल्ली के एम्स से लेकर निर्माण भवन तक विरोध प्रदर्शन किया.

डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन भारतीय चिकित्सा संघ (इंडियन मेडिकल एसोसियेसन) के डॉक्टरों और छात्रों के साथ तकरीबन तीन लाख सदस्यों ने नेशनल कमीशन बिल के विरोध में प्रदर्शन किए.

इंडियन मेडिकल एसोसियेसन का कहना है कि यह बिल गरीब और छात्र विरोधी है.

एसोसियेसन के मुताबिक वर्तमान संस्करण सिर्फ दिखावटी तौर पर बनाया गया है और मूल समस्या अभी भी बनी हुई है.

इंडियन मेडिकल एसोसियेसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु ने कहा,”चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में अभी तक लाए गए सभी विधेयकों में सबसे खराब विधेयक यह नेशनल कमीशन बिल है. दुर्भाग्यवश, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (डॉ. हर्षवर्धन) जो कि खुद एक डॉक्टर हैं, वही अपने खुद के विभाग की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद करने में लगे हुए हैं. हम इस अत्याचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे. यह प्रस्तावित विधेयक जनता, गरीब, छात्र, लोकतंत्र विरोधी और बेहद सख्त है.”

प्रदर्शन के दौरान निर्माण भवन के नजदीक विरोध प्रर्दशन कर रहे डॉक्टरों और छात्र को पुलिस ने हिरासत में लिया, लेकिन कुछ देर बाद उन्हें छोड़ दिया गया.

जब से इस विधेयक को संसद में पेश किया गया है तब से चिकित्सा बिरादरी के लोग इसके विरोध में आवाज उठा रहे हैं और उन्होंने इस विधेयक की हजारों कॉपियों को जलाया है.

दरअसल, डॉक्‍टरों के अनुसार एनएमसी विधेयक की धारा 32 पर उन्हें एतराज है. डॉक्टरों का कहना है कि विधेयक की धारा 32 के अनुसार कोई भी नीम-हकीम को इलाज करने की अनुमति दे दी जाएगी, जिसकी वजह से लोगों की जिन्दगी खतरे में पड़ सकती है.

इंडियन मेडिकल एसोसियेसन ने विधेयक में शामिल नेशनल एग्जिट टेस्ट नेक्सट और नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट नीट के शुल्क के विनियमन को लेकर भी विरोध जताया है.

इंडियन मेडिकल एसोसियेसन के मुताबिक इस विधेयक की वजह से देश में मेडिकल शिक्षा की कीमत काफी बढ़ जाएगी. जिसकी वजह से निम्न सामाजिक आर्थिक वर्ग के लोगों पर बुरा असर पड़ेगा.


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