मोदी-ट्रंप द्विपक्षीय वार्ता पर दोनों देशों के ब्यौरे में अंतर
मोदी-ट्रंप के बीच मंगलवार को द्विपक्षीय वार्ता के बाद दोनों देशों की ओर से बैठक का ब्यौरा मुहैया कराया गया है. हालांकि भारत और अमेरिका की ओर से बैठक के बारे में दी गई जानकारी में अंतर है.
द हिंदू लिखता है कि ये अंतर अफगानिस्तान और कश्मीर में आतंक के मुद्दे पर चर्चा को लेकर हैं.
भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले द्वारा मुहैया कराए गए ब्यौरे में कह गया है कि “समय की कमी के चलते दोनों देशों के बीच अफगानिस्तान पर चर्चा नहीं हो सकी.”
जबकि ह्वाइट हाउस द्वारा दिए गए ब्यौरे के मुतबिक “दोनों देशों के नेताओं ने अफगानिस्तान में परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की. नेताओं ने अफगानिस्तान में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए विचार साझा किए.”
द्विपक्षीय बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने बैठक का विवरण देते हुए कहा, “वार्ता के दौरान व्यापार और आतंकवाद दोनों ही विषयों पर समान रूप से चर्चा हुई. आतंकवाद के मसले पर विस्तार से चर्चा हुई जहां मोदी ने समझाने की कोशिश की कि भारत विशेषकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की वजह से किन चुनौतियों का सामना कर रहा है.”
हालांकि ह्वाइट हाउस ने अपने ब्यौरा में आतंकवाद के मसले पर चर्चा का जिक्र नहीं किया.
कश्मीर के संदर्भ में ह्वाइट हाउस के ब्यौरे में कहा गया कि “राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया और कश्मीरियों की जिंदगी बेहतर करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए कहा.”
ब्यौरों में भिन्नता पर विदेश मंत्रालय ने द हिंदू से कहा, “कम ही होता है कि ब्यौरा एक समान हो.”
वार्ता में अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौता होने की उम्मीद की जा रही थी हालांकि सहमति नहीं बन पाने के बाद इसे आगे के लिए टाल दिया गया है.
सूचना एवं संचार तकनीक (आईसीटी) प्रोडक्ट को लेकर भारत और अमेरिका के बीच सहमति नहीं बन पाई है. अमेरिका भारत की ओर से आईसीटी प्रोडक्ट पर लगने वाले 20 फीसदी टैक्स को खत्म करने के पक्ष में है. वहीं इससे चीन की तकनीक के भारतीय बाजार में पैठ बनने को लेकर भारत चिंतित है. इसके साथ ही अमेरिका मेडिकल उपकरणों और डेयरी प्रोडक्ट को भारतीय बाजार में बेचने के लिए नियमों में ढील देने के लिए दबाव डाल रहा है.
ह्वाइट हाउस ने कहा, “राष्ट्रपति ने दोनों के बीच बढ़ते व्यापार के महत्व को एक बार फिर दोहराया. मुक्त, निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार के लिए बाधाओं का समाधान निकालने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजारों में पहुंच देना भी शामिल है. राष्ट्रपति ने कहा कि रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग में अच्छी प्रगति हुई है.”