बीजेपी के कार्यकर्ता पार्टी में अपनी उपेक्षा के चलते नाराज चल रहे हैं तो दूसरी ओर पार्टी को बड़ी संख्या में बागियों का सामना करना पड़ रहा है.
भारत के लोगों के लिए यह समझना कठिन नहीं है. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की आड़ में पॉपुलिस्ट राजनीति ने अपने कदम यहां भी फैलाए हैं.
डेढ़ दशक पहले तक भारत की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली वामपंथी पार्टियां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं. आखिर क्यों?