आखिर कांग्रेस ने वाराणसी से प्रियंका गांधी को क्यों नहीं उतारा?


reasons behind party not giving ticket to priyanka gandhi from varanasi lok sabha seat

 

लंबे समय से वाराणसी सीट से प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी को लेकर चल रही अटकलों पर कांग्रेस ने विराम लगाते हुए अजय राय को मैदान में उतारा है.

वाराणसी से अजय राय को दोबारा टिकट देने को पीएम मोदी के सामने पार्टी के आत्मसमर्पण के रूप में देखा जा रहा है.

मोदी को पिछले चुनाव में 5 लाख 81 हजार वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार यहां से केवल 75 हजार वोट ही जुटा पाए थे. वहीं आप उम्मीदवार अरविंद केजरीवाल को मोदी से करीब 3 लाख 80 हजार कम वोट मिले थे.

अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक पार्टी को प्रियंका के नामांकन से जुड़ी अफवाहों को जोर देने के लिए फिलहाल आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. जबकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी के  किसी भी प्रवक्ता ने इस बारे में कभी कोई आधिकारिक सूचना नहीं जारी की थी.

वाराणसी से प्रियंका की उम्मीदवारी की अटकलें इस दौरान एक बड़ी वजह बनीं जिससे पार्टी को प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में व्यापक कवरेज मिला. इसका एक ओर फायदा ये हुआ कि लोगों का ध्यान पार्टी की गतिविधियों की ओर पहले से ज्यादा बढ़ गया.

इसी वजह से समय-समय पर पार्टी नेतृत्व की ओर से ऐसे बयान दिए गए जिससे इन अटकलों ने और  जोर पकड़ा.

रायबरेली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रियंका को सुझाव दिए थे कि वे रायबरेली से चुनाव लड़ें. इस पर प्रियंका ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया था कि- वाराणसी क्यों नहीं?

वहीं पत्रकारों से साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी अध्यक्ष कहते हैं तो वो चुनाव अवश्य लड़ेंगी.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रियंका गांधी के जरिए बन रहे माहौल को धीमा नहीं पड़ने दिया. एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि सस्पेंस होना अच्छा है. आगे फैसला लिया जाएगा, पर तब तक सस्पेंस को बने रहने दीजिए.

केंद्रीय और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा की मजबूत पकड़ ने भी पार्टी के फैसले को प्रभावित किया है. इन क्षेत्रों में मुस्लिम और दलित मतदाताओं की संख्या बहुत ज्यादा है, इसलिए पार्टी प्रियंका की उम्मीदवारी से मतदाताओं के मन में किसी तरह की दुविधा को जगह देकर महागठबंधन के आधार को कमजोर नहीं करना चाहती थी.

कुछ जानकारों का मानना है कि पार्टी ने प्रियंका पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ रायबरेली और अमेठी के मौजूदा जिम्मेदारियों को देखते हुए टिकट नहीं दिया. इसके अलावा एक मत यह भी है कि क्षेत्र में मोदी की पकड़ को देखते हुए पार्टी प्रियंका की हार का खतरा नहीं उठा सकती. पार्टी आम जनसामान्य में प्रियंका की मजबूत नेतृत्व की छवि का लाभ अगले विधानसभा चुनावों में उठाना चाहती है.

इसके अलावा वरिष्ठ नेताओं की समझ रही कि पार्टी राज्य में 15 सीटों पर कड़ी टक्कर देने में सक्षम है. ऐसे में बाकी 50-60 सीटों पर वह महागठबंधन के आधार को चोट ना करके उनकी जीत को सुनिश्चित करना चाहती है.

हालांकि इन सभी चर्चाओं के बीच अब भी वाराणसी से प्रियंका की उम्मीदवारी को लेकर अटकलें खत्म नहीं हुई हैं. सूत्रों के मुताबिक पार्टी राय से अंतिम समय में उम्मीदवारी वापस लेन के लिए कह सकती है और प्रियंका 29 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सकती हैं.


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