प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ये कैसा नियम?


AIKC N chairman nana patole writes to pm modi on challenges before the farmers in India

 

हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी और खरीफ सीजन 2019-20 के लिए जो नई और संशोधित अधिसूचना जारी की है, उसके कुछ प्रावधानों पर किसान नेताओं ने कड़ा एतराज जताया है. इस साल 24 मई को जारी इस अधिसूचना में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि धान और गन्ने जैसी फसलों में जल-भराव के चलते होने वाले नुकसान के लिए किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपने दावे पेश नहीं कर सकते. किसान नेताओं का आरोप है कि धान जैसी ज्यादा पानी वाली फसलों के लिए इस तरह का प्रावधान जोड़ना किसानों के साथ अन्याय है. किसान नेताओं के मुताबिक़, ऐसा कोई भी प्रावधान पिछले साल जारी अधिसूचना में नहीं था.

दरअसल हरियाणा सरकार ने यह प्रावधान केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा के योजना के तहत जारी नए और संशोधित दिशा-निर्देशों के आधार पर जोड़ा है. इस प्रावधान के अनुसार, केवल ‘जल-भराव’ (water-logging) के चलते होने वाले नुकसान की स्थिति में किसान अपने दावे नहीं कर सकेंगे. इसके साथ-साथ धान और गन्ना जैसी फसलों में ‘जलप्लावन’ होने के बावजूद किसान फसल बीमा योजना के तहत अपने दावे पेश नहीं कर सकेंगे.

न्यूज प्लेटफार्म से बातचीत में कुरुक्षेत्र के पेहोवा के रहने वाले किसान सिमरन संधू ने बताया, “कुछ दिन पहले जब वे फसल बीमा योजना के तहत दावा करने के लिए फॉर्म लेने गए तो उन्हें यह कहते हुए फॉर्म देने से मना कर दिया गया कि अब जल-भराव के चलते हुए नुकसान के लिए फसल बीमा योजना के तहत दावा नहीं किया जा सकता. उन्होंने बताया, “इस प्रावधान से ना सिर्फ उनको बल्कि आस-पास के बहुत से छोटे और सीमान्त किसानों को भारी नुकसान हुआ है.”

वहीं किसान नेताओं का आरोप है कि पिछले साल फसल बीमा के तहत राज्य में ज्यादा संख्या में किए गए दावों के चलते यह प्रावधान जोड़ा गया है. न्यूज प्लेटफ़ॉर्म से बातचीत में किसान नेता रमनदीप सिंह मान ने बताया, “धान जैसी फसल के बारे में इस तरह का प्रावधान जोड़ना बेतुका है. गन्ने के लिए ये नियम एक बार समझा भी जा सकता है, लेकिन धान की फसल पर ऐसा नियम छोटे किसानों की कमर तोड़ देगा.”


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