सरकार का इरादा: अब अनिवार्य होगा बीज प्रमाणन
केंद्र करीबन पांच दशक पुराने बीज अधिनियम, 1966 की जगह नया विधेयक लाने जा रही है. इसके जरिए सरकार सभी बीजों के लिए एक समान प्रमाणन की व्यवस्था और बीजों की बारकोडिंग करने जैसे बदलावों को लागू करने की तैयारी में है.
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि नए बदलाव लागू होने के बाद कृषि उत्पादकता में 25 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी होगी.
भारत में बेचे जाने वाले आधे से ज्यादा बीज किसी भी जांच एजेंसी से प्रमाणित नहीं होते हैं. इस तरह के बीज अधिकतर खराब गुणवत्ता के होते हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नए विधेयक के बारे में जानकारी दी कि “पांच दशक पुराने इस अधिनियम में तत्काल रूप से बदलाव की जरूरत है. तकनीक के साथ ही किसानों की उम्मीदों में भी बदलाव आया है. यहां तक कि बीजों की परिभाषा भी बदल गई है. पादप उत्तक संवर्धन, कलम बांधना, कटिंग विधि इन सब को कानूनी दायरे में लाने की जरूरत है.”
द हिंदू की खबर के मुताबिक नए विधेयक को जल्द ही मंत्रिपरिषद के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
बीज अधिनियम,1966 की शुरुआत में लिखा गया है कि “अधिनियम का उद्देश्य बेचे जाने वाले कुछ बीजों की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना है.” नए अधिनियम से ‘कुछ’ शब्द को हटा दिया गया है और इसका उद्देश्य आयात, निर्यात और देश में बिक्री होने वाले सभी बीजों की गुणवत्ता को नियंत्रित करना है.
अधिकारी ने बताया कि “फिलहाल किसान अपनी फसल से 30 फीसदी बीज बचा लेता है. जिसे वो अगली बार इस्तेमाल करते हैं या स्थानीय स्तर पर बेच देते हैं.” उन्होंने कहा, “बाजार में खरीदे और बेचे जाने वाले 45 फीसदी बीज आईसीएआर की व्यवस्था और प्रमाणन की अनिवार्य प्रक्रिया से होकर गुजरते हैं. जबकि 55 फीसदी बीज निजी कंपनियों द्वारा बेचे जाते हैं. इनमें से अधिकतर बीज प्रमाणन की प्रक्रिया से होकर नहीं गुजरते हैं. ये बीज कंपनी द्वारा स्व प्रमाणित होते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम इस श्रेणी को हटाकर नए कानून के तहत सभी बीजों के लिए प्रमाणन की प्रक्रिया को अनिवार्य बनाना चाहते हैं.”
कृषि और खाद्य नीति के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कहा, “यह विधेयक काफी समय से अटका हुआ है, जरूरत है कि कंपनियों को उनके द्वारा बेचे गए बीच और अपने दावों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए. अगर कोई बीज अंकुरण में विफल रहता है तो बीज बेचने वाली कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाए और नियमों के तहत उससे मुआवजा लिया जाए.” देवेंद्र नए बीज विधेयक से भी जुड़े रहे हैं.
साथ ही नए विधेयक में नियमों का पालन नहीं करने वालों पर जुर्माने के राशि को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जाएगा. फिलहाल 500 से 5000 का जुर्माना वसूला जाता है जिसे बढ़ाकर अधिकतम पांच लाख रुपये किया जा सकता है.
इसके साथ ही केंद्र बारकोड की व्यवस्था को भी लागू करने की नीति बना रहा है. अधिकारी ने कहा कि बारकोड से पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी साथ ही बीज के संबंध में सारी जानकारी केवल एक बारकोड स्कैन करके हासिल की जा सकेगी.
अधिकारी ने बताया, “इस पांच करोड़ की परियोजन पर नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर और कृषि मंत्रालय मिल कर काम कर रहे हैं. योजना का पहला नमूना इस महीने के आखिर तक तैयार कर लिया जाएगा. अगर हम इस योजना के जरिए खराब गुणवत्ता के बीज बेचने वालों पर नकेल कसने में कामयाब रहते हैं तो इससे उत्पादकता में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी आएगी.”
उन्होंने कहा, “हम इसे अगले दो से तीन महीनों में लागू करने को लेकर राज्यों से चर्चा कर रहे हैं. करीबन 5000 से अधिक बीज निर्माता कंपनियां इस भरोसे इसके अंतर्गत आने को लेकर राजी हो गई हैं कि हम उनके बीज की जानकारी अन्य प्रतिद्वंदियों के साथ साझा नहीं करेंगे.”