बिहार: महागठबंधन की एकता पर मंडराया संकट


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लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने गठबंधन से अलग दो सीटों शिवहर और जहानाबाद से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.

जहानाबाद से चंद्रप्रकाश और शिवहर सीट से अंगेश सिंह राजद के उम्मीदवार होंगे. पार्टी के खिलाफ जाकर घोषणा के बाद तेजप्रताप ने कहा कि उन्हें भरोसा है तेजस्वी यादव उनकी बात को मान लेंगे.

इसके साथ उन्होंने छात्र राजद के संरक्षक पद से इस्तीफा दे दिया है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में ये दोनों सीटें राजद के खाते में रही हैं.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बदले माहौल में तेजस्वी ने चुनावी यात्रा रद्द कर दी है. उन्हें जमुई, बांका और कटिहार जाना था. वहीं हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(हम) पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी के गया से प्रचार को छोड़कर पटना लौटने की खबर आ रही है.

कांग्रेस का राज्य नेतृत्व राजद पर दबाव बनाने का आरोप लगा रहा है. मामले को सुलझाने के लिए दिल्ली में पार्टी नेताओं मदन मोहन झा, कौकब कादरी, अखिलेश सिंह और सदानंद सिंह के साथ राहुल गांधी की बैठक भी हुई है.

जिसके बाद कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बना रहेगा. कुछ परेशानी जरूर थी, लेकिन कोई समस्या ऐसी नहीं होती, जिसका समाधान न हो. उनके बयान से लग रहा है कि कांग्रेस अपना कदम पीछे खींच सकती है.

न्यूज प्लेटफार्म के पत्रकार बिलाल सब्जवारी ने बताया कि फिलहाल दरभंगा और सुपौल सीट पर मामले को सुलझा लिया गया है. दरभंगा सीट राजद के खाते में गई है. जहां से अब्दुल बारी सिद्दीकी चुनाव लड़ेंगे. इसके साथ ही सुपौल से राजद ने अपना दावा छोड़ दिया है. यहां से रंजीता रंजन कांग्रेस की सांसद हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जीतन राम मांझी के हम को औरंगाबाद, गया और नालंदा की सीटें दी गई हैं.

उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी को उजियारपुर, काराकाट, बेतिया मोतिहारी के अलावा जमुई की सीटें बंटवारे में मिली हैं.

कांग्रेस को किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया के अलावा सुपौल, समस्तीपुर, सासाराम, मुंगेर, वाल्मीकि नगर और पटना साहिब की सीट मिली है.

आरजेडी बाकी की 20 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. जिसमें बक्सर ,पाटलिपुत्र,बेगूसराय, छपरा, सीवान, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, दरभंगा, अररिया, नवादा, भागलपुर,जहानाबाद, बांका, हाजीपुर, महाराजगंज, मधेपुरा और नवादा की सीट शामिल है.

पहले दरभंगा से कांग्रेस कीर्ति झा आजाद को चुनाव मैदान में उतारना चाहती थी. कीर्ति झा यहां बीजेपी से सांसद रहे हैं. अब आजाद बेतिया सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.

लेकिन औरंगाबाद, सुपौल, मधेपुरा, काराकाट पर महागठबंधन के घटक दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई है.

रिपोर्टों के मुताबिक मधेपुरा से शरद यादव महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. यहां जन अधिकार पार्टी प्रमुख पप्पू यादव उन्हें सीधी चुनौती देंगे. वह साल 2014 में यहां से चुनाव जीत चुके हैं. राजद कांग्रेस पर दबाव बना रही है कि वह यहां से पप्पू यादव को चुनाव नहीं लड़ने के लिए मना ले. कांग्रेस इसे अपनी पार्टी से बाहर का मामला मान रही है.

पप्पू यादव के मधेपुरा से चुनाव लड़ने की सूरत में राजद सुपौल से कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत रंजन के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की धमकी दे रही थी.

बिहार के स्थानीय पत्रकार मनीष शांडिल्य मानते हैं कि महागठबंधन में पप्पू यादव का शामिल होना संभव नहीं था, पप्पू यादव लालू यादव के परिवारवाद के विरोध में रहे हैं.

महागठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद सीपीआई के कन्हैया कुमार अकेले चुनाव लड़ रहे हैं. पप्पू यादव ने कन्हैया कुमार को समर्थन दिया है. कन्हैया कुमार ने एक जनसभा में कहा कि जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) के तमाम लोगों ने जिस तरह से हमारा समर्थन किया है, उससे नफरत के खिलाफ लड़ाई और मजबूत हुई है.

अब देखना होगा कि कांग्रेस और राजद के बीच सुपौल सीट पर समझौता हो जाने के बाद पप्पू यादव सीपीआई के कन्हैया कुमार का समर्थन जारी रखेंगे या नहीं. मनीष शांडिल्य मानते हैं कि पप्पू यादव के समर्थन से राजनीतिक संदेश जरूर गया है लेकिन वोटिंग में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आने वाला है.

महागठबंधन की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हो रही हैं. काराकाट सीट से उपेन्द्र कुशवाहा सांसद हैं. उन्होंने इस सीट पर अपनी पार्टी आरएलएसपी का दावा किया है. लेकिन यहां से कांग्रेस के कौकब कादरी चुनाव लड़ना चाहते हैं.

औरंगाबाद सीट हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के पास जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी दफ्तर पर प्रदर्शन किया है. यहां से कांग्रेस पूर्व सांसद निखिल कुमार को चुनाव लड़वाना चाहती है.

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) अभी तक अपने सीटों को तय नहीं कर पाई है. वीआईपी को तीन सीटें दी गई हैं. जिनमें खगड़िया से वीआईपी प्रमुख मुकेश साहनी चुनाव लड़ेंगे. बाकी दो सीटें अबतक तय नहीं हो पाईं हैं. आने वाले दिनों में और भी नए विवाद सामने आ सकते हैं.

मनीष शांडिल्य बताते हैं,”तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद महागठबंधन की स्थिति ठीक है और आने वाले दिनों में उम्मीदवारों की घोषणा से स्थिति स्पष्ट होगी. राजद जैसी पार्टियों में स्थिति अलग होती है बीजेपी के उलट यहां उम्मीदवार काफी मायने रखते हैं.”

29 मार्च को 10 बजे तक के लिए उम्मीदवारों की घोषणा टाल दी गई है. मनीष शांडिल्य बताते हैं कि  तेजप्रताप की बगावत के बाद यह संदेश गया है कि पार्टी के साथ-साथ परिवार में भी सबकुछ ठीक नहीं है. हालांकि तेजप्रताप का इतना बड़ा कद नहीं है कि पार्टी को इससे कोई बड़ा नुकसान झेलना पड़े.

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने महागठबंधन पर चल रहे घमासान पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.


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