प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में सिर्फ ‘मैं’


comparison between former pm manmohan singh and pm narendra modi speeches

 

चुनावी मौसम में भाषणों का खास महत्त्व होता है. भारत के राजनीतिक इतिहास में जवाहर लाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी जैसे कुशल वक्ताओं का नाम शामिल रहा है.

हाल के वर्षों में मीडिया के एक हिस्से ने नरेंद्र मोदी की छवि ‘वाकपटु’ प्रधानमंत्री के रूप में बनाई है. वहीं, उनकी इस छवि के बरक्स पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना ‘साइलेंट’ प्रधानमंत्री  कहकर की जाती है.

लेकिन दोनों प्रधानमंत्रियों की बनाई गई इस छवि के उलट मिंट में प्रकाशित तथ्य अलग कहानी कह रहे हैं.

खबर से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते पांच साल के कार्यकाल के दौरान 713 (143 सालाना) भाषण दिए. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री सिंह ने दो कार्यकाल में कुल 1,349 भाषण (135 सालाना) दिए. इससे पता चलता है कि पूर्व प्रधानमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री के भाषणों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है.

ये तुलना करते समय चुनावी भाषणों को शामिल नहीं किया गया है. अखबार ने पीएमओ से प्राप्त भाषणों की प्रति के आधार पर ये तथ्त प्रकाशित किए गए हैं.

खबर बताती है कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पूर्व प्रधानमंत्री सिंह के भाषणों की तुलना में लगभग दोगुना लंबे रहे हैं.

इस तुलना से ये भी पता चलता है कि सिंह ने अपने भाषणों में ‘हम’ और ‘हमारे’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल ‘मैं’ शब्द से ज्यादा किया. जबकि प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों में ‘हम’ जैसे शब्दों की जगह ‘मैं’ शब्द ज्यादा इस्तेमाल किया गया.

इस खबर से एक रोचक निष्कर्ष ये भी सामने आया है कि साल 2014 में ‘सबका साथ सबका विकास’  नारे के साथ सत्ता में आए नरेंद्र मोदी की तुलना में मनमोहन सिंह ने अपने भाषणों में ‘विकास’ से जुड़े शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल किया. पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में ‘जलवायु परिवर्तन’, ‘विज्ञान और तकनीक’ के साथ ‘शिक्षा’ शब्द का अधिक इस्तेमाल किया.

जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषणों में ‘कुछ साल पहले’, ‘दुनिया भर में’ और ‘पहली बार’ जैसे लोकप्रिय शब्दों को ज्यादा जगह दी.

देश के वित्त मंत्री रह चुके मनमोहन सिंह ने अपने भाषणों में अर्थव्यवस्था के बारे में ज्यादा बातें कीं. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में ‘किसान’ और ‘सैनिक’ शब्द को ज्यादा जगह देते रहे.


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