क्या ग्रामीण-मतदाता फिर कांग्रेस के साथ?


 

फिलहाल, पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव नतीजों में कम से कम तीन राज्यों में कांग्रेस वापसी करती हुई दिखाई दे रही है. इसमें भी छत्तीसगढ़ में उसकी जीत लगभग सुनिश्चित है. वहीं, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच अभी भी दिलचस्प लड़ाई चल रही है. इन तीनों राज्यों में कांग्रेस की वापसी की क्या वजहें हैं, इसका सम्पूर्ण आंकलन तो चुनाव नतीजे आने के बाद ही हो सकता है लेकिन अगर फिलहाल की आधिकारिक स्थिति को आधार बनाए जाए, तो ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस को तीनों राज्यों में ग्रामीण मतदाताओं का साथ मिला है.राजस्थान में जिन सीटों पर कांग्रेस ने अब तक बढ़त बनाई हुई है, उसमें लगभग 85 प्रतिशत सीटें ग्रामीण इलाकों से हैं. वहीं, मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस जिन सीटों पर आगे है, उनमें लगभग 84 प्रतिशत सीटें ग्रामीण इलाकों से हैं. छत्तीसगढ़ में, जहां कांग्रेस की जीत लगभग सुनिश्चित है, वहां कांग्रेस को कुल मिली रही सीटों में लगभग 90 सीटें ग्रामीण इलाकों की हैं. ये आंकड़ें ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता का संकेत हैं.

कांग्रेस ने चुनाव से पहले किसानों की दुर्दशा और कृषि संकट को जिस तरह से मुद्दा बनाया और अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों का कर्ज माफ करने संबंधी घोषणाएं कीं, उसका लाभ पार्टी को मिला है. रुझानों से स्पष्ट है कि तीनों ही राज्यों में ग्रामीण मतदाता भाजपा से अधिक कांग्रेस के पक्ष में गोलबंद हुए हैं. राजस्थान में कांग्रेस ने सत्ता में आने के दस दिन के भीतर ही कर्ज माफी का वायदा किया था तो वहीं छत्तीसगढ़ में भी पार्टी ने कर्ज माफी के साथ स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू करने का जिक्र अपने घोषणा पत्र में किया था. मध्य प्रदेश में नोटबंदी के बाद फसलों के मूल्य में आई तेज गिरावट के चलते भी ग्रामीण मतदाता भाजपा से नाराज थे. बहरहाल, इन संकेतों का क्या ये अर्थ नहीं है कि कांग्रेस को साल 2019 का आम चुनाव के लिए इन परंपरागत तबकों को अपने पक्ष में गोलबंद करने की नीति पर चलना चाहिए?


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